जेल अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा जेलों में नशे का कारोबार : सिधाना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 10:31 AM

drunk business  running under the protection of prison officials

गैंगस्टर लाइफ के बाद अब समाज सेवा के रास्ते पर चल रहे बङ्क्षठडा के लक्खा सिधाना ने पंजाब की जेलों में चल रहे नशे के काले कारोबार को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं।

चंडीगढ़ (रमनजीत): गैंगस्टर लाइफ के बाद अब समाज सेवा के रास्ते पर चल रहे बठिंडाके लक्खा सिधाना ने पंजाब की जेलों में चल रहे नशे के काले कारोबार को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जेलों में बंद नौजवानों को नशे 
की दलदल में धकेला जा रहा है और इसके जरिए जेल अधिकारी व नशा माफिया मोटी कमाई कर रहे हैं। लक्खा सिधाना ने यह आरोप चंडीगढ़ में एक प्रैस कांफ्रैंस दौरान लगाए। 

 

लक्खा ने कहा कि हालांकि पहले भी उसे कई बार जेल जाना पड़ा था लेकिन हाल ही में पंजाब के हाईवेज पर पंजाबी भाषा के सम्मान के लिए चलाई कूची फेर मुहिम में गिरफ्तार करके उन्हें फरीदकोट जेल भेज दिया गया। इसके बाद फरीदकोट जेल में से फेसबुक पर लाइव होने के बाद एक और पर्चा दर्ज कर दिया गया। अब जेल से बाहर आने के बाद जेलों के अंदर के काले कारोबार से सबको अवगत करवाना चाहता हूं। लक्खा ने कहा कि पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का एक बयान आया था कि पंजाब की जेलें गुनाहों का अड्डा बन गई हैं लेकिन यह अड्डा बनता कैसे है, इस पर भी बात होनी चाहिए। 

 

लक्खा सिधाना ने कहा कि फरीदकोट जेल की ही बात करें तो यहां का जेल सुपरिंटैंडैंट खुद ही हत्या के एक मामले में जमानत पर है तो ऐसे जेल अधिकारियों से क्या उम्मीद की जा सकती है। लक्खा सिधाना ने कहा कि इंजैक्शन लगाने वाली सीरिंज बाहर 10-20 रुपए की तो अंदर 400 रुपए की मिलती है और पैसे बचाने के लिए एक ही सीरिंज को 25-30 लोग इस्तेमाल करते हैं। इससे न सिर्फ उन्हें नशे की डोज मिलती है बल्कि एड्स जैसी गंभीर बीमारी के भी जेल में बंद लोग शिकार बन रहे हैं। 
लक्खा ने दावा किया कि फरीदकोट जेल के एच ब्लॉक में 250 से अधिक एड्स रोगी हैं और 200 को काला पीलिया है लेकिन प्रशासन इस तथ्य को छुपाने में लगा हुआ है। 

 

जेलों में कई गुना ज्यादा कीमत पर मिलता है नशे का सामान
लक्खा ने कहा कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कसम खाई थी कि 4 हफ्तों में नशा खत्म होगा लेकिन अब 4 गुना ज्यादा हो गया है। पंजाब के खुले इलाके में तो दूर की बात लेकिन जेलें, जहां कई बार चैकिंग के बाद कोई व्यक्ति अंदर तक पहुंच पाता है, वहां पर भी चिट्टा, स्मैक, जर्दा, बीड़ी सब मिलता है लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि बाहर 5-10 रुपए में मिलने वाला बंडल अंदर 200 से 500 रुपए तक मिलता है। जर्दे की पुड़ी बाहर 10 की तो अंदर 500 रुपए की है। 
गांजे की गोली 500 रुपए की है। एक गोली जो नशा छुड़ाने के लिए दी जाती है सिर्फ 25 रुपए की है लेकिन जेल में 350 रुपए की मिलती है।

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