Edited By Updated: 20 Feb, 2017 04:23 PM
पंजाब में नशा करने वालों ने अब आयुर्वेदिक दवाइयों का सहारा लेना शुरू कर दिया है। इन आयुर्वेदिक दवाइयों में अफीम का इस्तेमाल होने के
जालंधर (धवन): पंजाब में नशा करने वालों ने अब आयुर्वेदिक दवाइयों का सहारा लेना शुरू कर दिया है। इन आयुर्वेदिक दवाइयों में अफीम का इस्तेमाल होने के कारण पिछले कुछ समय से इन दवाइयों की बिक्री में बढ़तौरी देखी गई है। पंजाब के सीमावर्ती जिलों जैसे अमृतसर, तरनतारन में नशा करने वाले लोग आयुर्वेदिक दवाइयां ले रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आयुर्वेदिक विभाग या नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पास इस बात के आंकड़े मौजूद नहीं है कि नशेड़ी हर महीने कितनी आयुर्वेदिक दवाइयों का इस्तेमाल कर रहे है परंतु बताया जाता है कि अमृतसर तथा तरनतारन में ही केवल हर माह 3 करोड़ रुपए की दवाइयों की बिक्री होने की सूचना मिली है। अमृतसर में पिछले समय नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने लगभग 2.5 करोड़ रुपए की आयुर्वेदिक दवाई कामिनी विदरवान को पकड़ा था। अधिकारियों का मानना है कि नशा करने वाले लोग चोरी छिपे आयुर्वेदिक दवाइयां ले रहे हैं। बताया जाता है कि 10 ग्राम की आयुर्वेदिक दवाई में लगभग 3 ग्राम अफीम डाली गई होती है। आयुर्वेदिक दवाइयां पूरी तरह से शुद्ध होती है इसलिए नशा करने वाले लोग इसे पहल दे रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली तथा उत्तराखंड की लगभग 12 आयुर्वेदिक दवा कम्पनियां आयुर्वेदिक दवाइयां बना रही है तथा इनमें से 90 प्रतिशत दवाइयां पंजाब में बेची जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि हैरोइन को नशों के रूप में लेने में भारी खतरा है इसलिए नशेडी हैरोइन की बजाए आयुर्वेदिक दवाई ले रहे हैं। अब सेहत विभाग के ड्रग इंस्पैक्टरों को कहा गया है कि आयुर्वेदिक दवाइयों की बिक्री पर विशेष रूप से नजर रखें। ताकि पता चल सके कि इन दवाइयों को नशों के रूप में कितने लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। यद्यपि नशा करने वाले लोग विभिन्न प्रकार के नशों का प्रयोग कर रहे हैं परंतु फिर भी अफीम से बनने वाली दवाइयां उनकी पहली पसंद बनकर उभर रही है। आने वाले समय में राज्य में बनने वाली नई सरकार आयुर्वेदिक दवाइयों पर विशेष नजर रख सकती है।