Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Sep, 2017 01:59 PM
नशे की दलदल में फंस कर कैसे नौजवान अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं, पंजाब सरकार के ही आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 70 फीसदी
भटिंडा(विजय): नशे की दलदल में फंस कर कैसे नौजवान अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं, पंजाब सरकार के ही आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 70 फीसदी नौजवान नशे के आदी हो चुके हैं, जिनमें 22 फीसदी लड़कियां की भी संख्या शामिल हैं। पंजाब में 5वें दरिया के नाम पर नशों का कारोबार चल रहा है। अकाली-भाजपा गठबंधन की पिछली सरकार के दौरान 10 वर्षों में नशेड़ी नौजवानों की संख्या 38 फीसदी से बढ़कर 78 फीसदी तक हो चुकी है। पंजाब में बढ़ रहे नशे के कारोबार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है, सरकार की लाख कोशिशें के बावजूद भी नशा तस्करी पर विराम नहीं लग सका।
नशे से विवाहित जीवन हो रहा बर्बाद
वर्तमान कांग्रेस सरकार ने चुनावों से पहले वायदा किया था कि वह 4 सप्ताह में पंजाब से नशा बिल्कुल खत्म कर देगी, जिसके लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने जोर-शोर से प्रयास भी किए परन्तु सफलता हाथ नहीं लगी। नशा तस्करों की जड़ें इस कदर मजबूत हो चुकी हैं कि सरकार चाहे तो भी इसे रोक नहीं पाएगी। पंजाब के लोग अब सोचने पर मजबूर हैं कि नशे से कब निजात मिलेगी, क्योंकि इससे परिवार तो बर्बाद हो रहे हैं जबकि अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं। देखा जाए तो नशा ही अपराधों की जननी है। नशे से विवाहित जीवन बर्बाद हो रहा है, शादी के कुछ महीने बाद ही नशे का सेवन करने वालों की नौबत तलाक तक पहुंच जाती है। ऐसे में तलाक के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। महिला थानों में तलाक को लेकर दोनों परिवारों के आपस में झगडऩे की बात आम है, देखा जाए तो सुबह 9 बजे से लेकर सायं 5 बजे तक तलाक के मामलों का ही बोलबाला रहता है।
नशे के पीछे विदेशी ताकतें
शहर में नशा तस्कर गिरोह के जाल इतने मजबूत हैं कि आए दिन नशा तस्कर की गिरफ्तारी और पुलिस के छापेमारी के बावजूद भी इनका नैटवर्क खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। हालांकि पुलिस यह दावा करती है कि नशा तस्करी पर जल्द ही काबू पा लेंगे लेकिन इस गिरोह के सक्रियता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ये तस्कर पुलिस के गले की हड्डी बन बैठे। कहीं ऐसा तो नहीं कि तस्कर पुलिस प्रशासन से मिलकर यह सारा खेल खेला जा रहा है और दिखावे कि लिए 1-2 तस्कर को गिरफ्तार करके अपनी सक्रियता का सबूत सबके सामने पेश करते रहते है। यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है। आज नशे के कारोबार अरबों के आंकड़े से भी ऊपर चला गया है और इनका नैटवर्क देश-विदेश से जुड़ा हुआ है। इसका खुलासा पिछले साल तब हुआ जब एक नाइजीरिया मूल के व्यक्ति को एन.आई. ने भटिंडा में गिरफ्तार किया। इतना बड़ा कारोबार प्रशासन के मिलीभगत के बिना कैसे संभव है। नशे संबंधी तथ्य उभर कर सामने आ रहे हैं कि इसके पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है। पाकिस्तान से लेकर नाइजीरिया तक नशे का कारोबार होता है, जबकि इसकी बिक्री का सबसे बड़ा केंद्र हमारा देश है। जनसंख्या के लिहाज से हर वर्ष देश में 2 लाख करोड़ रुपए का नशा बिक जाता है जिससे देश की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती है।
हरियाणा से तस्करी कर पहुंच रही है शराब
पंजाब में शराब के भाव आसमान छूने लगे हैं जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है। नशे की आपूर्ति के लिए सस्ता नशा तस्क री को अंजाम दे रहा है। रोजाना ऐसे कई मामले पुलिस की गिरफ्त में आए जिनमें शराब हरियाणा से तस्कर कर पंजाब लाई जा रही है। पंजाब के डी.जी.पी. ने पड़ोसी राज्यों राजस्थान व हरियाणा के डी.जी.पी. से तालमेल कर नशे व शराब को रोकने की कोशिश की लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। हरियाणा में शराब सस्ती होने के कारण धड़ल्ले से इसकी बिक्री पंजाब में हो रही है, जिससे पंजाब के ठेकेदारों को बड़ा नुक्सान उठाना पड़ रहा है।शराब के मामले में पड़ोसी राज्यों से सटे जिले ज्यादा प्रभावित हो रहे। इसी वजह से पड़ोसी राज्य हरियाणा से बङ्क्षठडा में नशे की सप्लाई ज्यादा मात्रा में होता है, क्योंकि हरियाणा में कम दाम पर शराब आसानी से मिल जाती है और यहां लाकर दोगुने से भी ज्यादा दाम पर बेचते हैं। इस कारण शहर में नशे पर कंट्रोल करना मुश्किल हो गया है। आए दिन हरियाणा में तैयार शराब की पेटियां बरामद की जाती हैं लेकिन कानून में मिली राहत के कारण तुरंत जमानत पर छूट कर तस्कर इस धंधे में फिर लग जाते हैं।