Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Dec, 2017 09:47 AM
खुद का नाम ड्रग केस में आने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले एस.एस.पी. मोगा राजजीत सिंह के मामले की जांच एस.आई.टी. ने शुरू कर दी है।
जालंधर (रविंदर शर्मा): खुद का नाम ड्रग केस में आने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले एस.एस.पी. मोगा राजजीत सिंह के मामले की जांच एस.आई.टी. ने शुरू कर दी है। हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने 3 ए.डी.जी.पी. रैंक के अधिकारियों का पैनल(एस.आई.टी.) जांच के लिए बनाया है, जो राजजीत मामले की जांच कर हाईकोर्ट को सौंपेगा। इसी कड़ी में एस.आई.टी. ने स्पैशल टास्क फोर्स(एस.टी.एफ.) से एस.एस.पी. राजजीत सिंह से संबंधित सारा रिकार्ड मांगा है। इसमें वे तथ्य भी हैं, जब एस.टी.एफ. ने राजजीत को पूछताछ के लिए बुलाया था। संभावना है कि राजजीत से पूछताछ की सारी बातें भी एस.टी.एफ. ने रिकार्ड की होंगी और इसे भी एस.आई.टी. को सौंपा जा सकता है।
गौर हो कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद एस.टी.एफ. ने सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए इंस्पैक्टर इंद्रजीत सिंह को भारी मात्रा में ड्रग्स व हथियारों के साथ गिरफ्तार किया था। इंद्रजीत सिंह पर आरोप था कि वह वर्दी की आड़ में ही ड्रग तस्करों के साथ मिला हुआ था। पहले इंद्रजीत नशा तस्करों को पकड़ता था और फिर बड़ी डील कर उन्हें छुड़ा लेता था। पकड़े गए ड्रग को इंद्रजीत नशा तस्करों के जरिए दोबारा मार्कीट में बेच देता था। इसकी आंच एस.एस.पी. मोगा राजजीत सिंह तक भी पहुंची था।
एस.टी.एफ. ने आरोप लगाया था कि जहां-जहां राजजीत सिंह की बतौर एस.एस.पी. तैनाती रही, वहां-वहां उन्होंने इंद्रजीत सिंह की भी तैनाती करवाई थी। इंद्रजीत सिंह की ओर से पकड़े गए तस्करों के 19 ऐसे मामले हैं, जो पहले ही संदेह के घेरे में आ चुके हैं। एस.टी.एफ. ने राजजीत सिंह को पूछताछ के लिए भी बुलाया था। इसके कई महीने तक मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। मगर जब एस.टी.एफ. ने इस मामले का चालान अदालत में पेश किया तो मामला दोबारा गर्म हो गया, क्योंकि एस.टी.एफ. ने चालान में राजजीत सिंह को भी पार्टी बनाया था। इसके बाद राजजीत सिंह ने आरोप लगाया था कि एस.टी.एफ. चीफ हरप्रीत सिंह सिद्धू उन्हें जबरन ड्रग केस में फंसा चाहते हैं। इसको लेकर राजजीत सिंह ने एडीशनल चीफ सैक्रेटरी (गृह) को भी चिट्ठी लिखी थी। मगर सरकार की ओर से कोई एक्शन न लेने के बाद राजजीत सिंह ने हाईकोर्ट का रुख कर लिया था।
हाईकोर्ट ने सरकार से 6 ए.डी.जी.पी. रैंक अधिकारियों का पैनल मांगा था, जिनमें से 3 को एस.आई.टी. में शामिल किया गया है। पूरे मामले में राजजीत सिंह की मुश्किलें आने वाले दिनों में और बढ़ सकती हैं। अगर एस.आई.टी. ने भी राजजीत सिंह पर लगे आरोपों को सही पाया तो इसके बाद राजजीत सिंह के पास अपने बचाव के लिए कोई रास्ता नहीं रह जाएगा और इस एस.आई.टी. की रिपोर्ट को भी इंद्रजीत केस में राजजीत सिंह के खिलाफ एक अहम सबूत माना जा सकता है।
वहीं, राजजीत के हाईकोर्ट में जाने के कदम से सरकार पहले ही खफा दिखाई दे रही है। कै. सरकार इस बात से भी खफा है कि राज्य पुलिस का एक अधिकारी सरकार की ओर से गठित एस.टी.एफ. के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटा रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में सरकार भी राजजीत सिंह को खुड्डे लाइन लगा सकती है।