कांग्रेस के राज में सिरे चढ़ेगी नहरी पानी को पेयजल का विकल्प बनाने की योजना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Sep, 2017 03:38 PM

drinking water option

महानगर में नहरी पानी को पेयजल का विकल्प बनाने के बारे में सालों से लटक रही योजना को सिरे चढ़ाने की दिशा में कांग्रेस सरकार द्वारा कवायद

लुधियाना (हितेश): महानगर में नहरी पानी को पेयजल का विकल्प बनाने के बारे में सालों से लटक रही योजना को सिरे चढ़ाने की दिशा में कांग्रेस सरकार द्वारा कवायद तेज कर दी गई है। इसके तहत फंड लेने के लिए केन्द्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजे जाने की सूचना है। हालांकि इस बारे में औपचारिक ऐलान सी.एम. द्वारा 6 सितम्बर को लुधियाना दौरे के दौरान किया जाएगा।

महानगर में थोक के भाव ट्यूबवैल लगे होने के बावजूद अब तक सौ फीसदी इलाकों में सरकारी पानी की सुविधा नहीं मिल रही है। यहां तक कि ट्यूबवैल लगे होने वाले इलाकों में लोगों को अक्सर पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा इन ट्यूबवैलों की वजह से अंडरग्राऊंड वाटर लेवल तेजी से डाऊन जा रहा है। इन समस्याओं के हल के लिए नहरी पानी को पेयजल का विकल्प बनाने की योजना करीब 5 साल पहले तैयार की गई थी, जिसके लिए ग्राऊंड वाटर लेवल को गिरने से बचाने के अलावा ट्यूबवैलों के बिजली बिल व मैंटीनैंस चार्जिस की बचत होने का हवाला तो दिया ही गया। लोगों को 24 घंटे पानी की सप्लाई देने का दावा भी किया गया।

इस संबंधी वल्र्ड बैंक की टीम ने स्टडी करके जो रिपोर्ट तैयार की, उसमें सिंधवा नहर के पानी को ट्रीटमैंट के बादपीने के लिए फिट पाया गया। लेकिन लागत के आंकड़े पर आकर आगे की सारी कार्रवाई रुक गई क्योंकि लगातार हाई लेवल मीटिंगों में प्रैजैंटंशन देने के बाद योजना को सिद्धांतिक मंजूरी तो मिल गई, जबकि कई सौ करोड़ के इंतजाम का जवाब नहीं सूझा।अब इस योजना के प्रारूप को केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय की हरी झंडी तो मिल गई है, जिसके बाद फंड लेने के लिए अलग से प्रस्ताव बनाकर केन्द्रीय फाइनांस मिनिस्ट्री को डिमांड भेजी गई है। इस बारे में संकेत सी.एम. ने 14 अगस्त को अमृतसर में प्रैस कान्फ्रैंस के दौरान लुधियाना व जालंधर के डार्क जोन में आने कारण नहरी पानी को पेयजल का विकल्प बनाने की बात कहकर दे दिए थे और अब महानगर आने पर सौगात के तौर पर इसकी घोषणा की जाएगी।

योजना पर एक नजर
-महानगर में लगे हैं 1000 छोटे-बड़े ट्यूबवैल
-फिर भी 100 फीसदी इलाके में नहीं सरकारी वाटर सप्लाई
-कई इलाकों में पानी की किल्लत का सामना कर रहे लोग
-नहरी पानी को पेयजल का विकल्प बनाने का है रास्ता
- अंडरग्राऊंड वाटर लेवल डाऊन होने का होगा हल
-ट्यूबवैलों के बिजली बिल व मैंटीनैंस चाॢजस की होगी बचत
-24 घंटे मिलेगी वाटर सप्लाई की सुविधा
- 2515 करोड़ की आएगी लागत
- केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय से मिल चुकी है मंजूरी
- अब फंड के लिए फाइनांस मिनिस्ट्री को भेजा प्रस्ताव

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