Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Dec, 2017 09:23 AM
‘ड्रैगन डोर’ यानी चाइना डोर फिर से अपना जाल बिछाने लगी है। इस घातक डोर के कारण प्रत्येक वर्ष सैंकड़ों हादसे घटित होते हैं। कुछ हादसों में लोग गंभीर घायल हो जाते हैं तो कई हादसों में बेकसूरों की जान तक चली जाती है। पिछले कुछ वर्षों से चाइना डोर कारण...
बठिंडा(परमिंद्र): ‘ड्रैगन डोर’ यानी चाइना डोर फिर से अपना जाल बिछाने लगी है। इस घातक डोर के कारण प्रत्येक वर्ष सैंकड़ों हादसे घटित होते हैं। कुछ हादसों में लोग गंभीर घायल हो जाते हैं तो कई हादसों में बेकसूरों की जान तक चली जाती है। पिछले कुछ वर्षों से चाइना डोर कारण होने वाले हादसों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। अफसोस की बात है कि इतना सब होने के बावजूद भी न तो यह डोर पूर्ण रूप से बंद हुई है और न ही पतंग प्रेमियों का इसके प्रति रूझान कम हुआ है। बेशक ड्रैगन डोर पर पाबंदी है लेकिन इस पाबंदी को गंभीरता से लागू नहीं करवाया जाता। पुलिस प्रशासन की ढीली कारगुजारी का फायदा उठाकर उक्त डोर के कारोबारी हर साल इस ‘मौत की डोर’ को धड़ल्ले से बेचते हैं। पुलिस प्रशासन की ओर से हर साल कुछ मात्रा में चाइना डोर पकड़ी जरूर जाती है लेकिन कारोबारी अधिकांश डोर बेचने में कामयाब हो जाते हैं।
कई लोग हो चुके हैं शिकार
चाइना डोर के शिकार लोग आज भी उक्त डोर के कारण हुए हादसों को याद करके कांप जाते हैं। बाबा फरीद कालेज की एक अध्यापिका भी इस डोर का शिकार हो चुकी है। साथी वैल्फेयर सोसायटी के एक पदाधिकारी राजेश अरोड़ा भी इस डोर का शिकार बन चुके हैं। मुल्तानियां रोड पर एक स्कूटर सवार शुभम भी इस डोर के कारण मरते-मरते बचा है। हर साल एक दर्जन से अधिक बच्चे व बड़े इस डोर का शिकार होते हैं। यह डोर पतंग उड़ानें वालों के लिए जितनी घातक है, उससे भी अधिक घातक दोपहिया वाहन चालकों के लिए है। दोपहिया वाहन चालक सड़क पर जाते वक्त अक्सर इस डोर की चपेट में आ जाते हैं जिससे उनके गले या चेहरे पर गहरे घाव हो जाते हैं। पंजाब में ऐसे कई मामले हो चुके हैं जिनमें चाइना डोर के कारण गला कटने से जान तक जा चुकी है।
पशु-पक्षियों के लिए भी घातक
उक्त चाइना डोर जहां इंसानों के लिए खतरनाक है, वहीं यह पशु-पक्षियों के लिए भी बेहद घातक है। हर साल दर्जनों पक्षी इस डोर में उलझकर दम तोड़ देते हैं। इस साल भी इस डोर के बिकने शुरू होते ही इसने पक्षियों की जान लेनी शुरू कर दी है। गत दिनों इस डोर में उलझकर कुछ कबूतर मर चुके हैं। आने वाले दिनों में ऐसी घटनाओं में तेजी से वृद्धि होने के आसार हैं। उक्त डोर में जब कोई पक्षी उलझ जाता है तो वह चाहकर भी खुद को इससे आजाद नहीं करवा पाता। लंबा समय डोर में उलझे रहने के कारण ये पक्षी दम तोड़ देते हैं।