Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 05:15 AM
नैशनल मैडीकल बिल के विरोध में मंगलवार को देशभर में एम.बी.बी.एस. डाक्टरों की संस्था इंडियन मैडीकल एसोसिएशन (आई.एम.ए.) द्वारा की गई हड़ताल के चलते महानगर के सभी अस्पतालों के डाक्टरों ने मंगलवार को के दिन को काला दिवस के रूप में मनाया...
जालंधर(महेश): नैशनल मैडीकल बिल के विरोध में मंगलवार को देशभर में एम.बी.बी.एस. डाक्टरों की संस्था इंडियन मैडीकल एसोसिएशन (आई.एम.ए.) द्वारा की गई हड़ताल के चलते महानगर के सभी अस्पतालों के डाक्टरों ने मंगलवार को के दिन को काला दिवस के रूप में मनाया।
निजी अस्पतालों में सुबह 6 से लेकर शाम 6 बजे तक कोई भी ओ.पी.डी. नही देखी गई, जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। कोई भी डाक्टर अस्पताल में देखने को नहीं मिला। सभी अस्पताल सुनसान दिखे, जबकि हर रोज इन अस्पतालों में मरीजों तथा उनके साथ आए लोगों की इतनी भीड़ होती है कि अस्पतालों में तैनात सुरक्षा कर्मियों को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।
सिर्फ सीरियस एमरजैंसी ही ली गई
हड़ताल के दौरान अस्पतालों में केवल सीरियस एमरजैंसी ही ली गई। अस्पतालों में केवल भर्ती मरीजों के साथ आए लोग ही मौजूद थे जबकि सभी डाक्टरों के कमरे बंद पड़े दिखाई दिए। एमरजैंसी वाला स्टाफ ही केवल एमरजैंसी में देखने को मिला। एमरजैंसी के मामूली केसों को भी अस्पतालों ने मंगलवार को नहीं लिया।
चैरीटेबल अस्पतालों का लोगों को मिला लाभ
आई.एम.ए. की हड़ताल के कारण लोगों को चैरीटेबल अस्पतालों का लाभ मिला। रामा मंडी में गुरु नानक मिशन अस्पताल की डिस्पैंसरी में ओ.पी.डी. की गिनती आम दिनों से अधिक रही, जिसकी पुष्टि डिस्पैंसरी के प्रभारी डा. मनीश अग्रवाल ने की। इसी तरह तल्हण में स्थित चैरीटेबल अस्पताल में भी मरीज रोज की तरह चैक किए गए।
रिसैप्शन के स्टाफ को मिला गप्पें मारने का मौका
रिसैप्शन पर तैनात स्टाफ को अक्सर व्यस्त देखा जाता है लेकिन आज सुबह से ही स्टाफ ड्यूटी पर तो मौजूद रहा लेकिन कोई भी काम न होने के कारण उन्हें गप्पें मारकर ही अपनी ड्यूटी का समय पूरा करना पड़ा। ठंड के चलते स्टाफ ने हीटर का प्रयोग करते हुए आग भी सेंकी।
मैडीकल स्टोरों पर भी पड़ा असर
डाक्टरों की मंगलवार की हड़ताल का अस्पतालों के अंदर चलते तथा बाजार के मैडीकल स्टोरों पर भी काफी असर पड़ा। बैंस मैडीकल स्टोर नंगल शामां के मालिक विजय कुमार अरोड़ा ने कहा कि हड़ताल के कारण मैडीकल स्टोरों पर दवाई लेने बहुत कम लोग आए क्योंकि अस्पतालों में ओ.पी.डी. बंद थी।
खाली पड़ी रही कुर्सियां
प्राइवेट अस्पतालों में ज्यादातर लोगों को बैठने के लिए कुर्सी नहीं मिलती जबकि सोमवार को हड़ताल के कारण ओ.पी.डी. नहीं हुई, जिसके चलते सभी कुर्सियां खाली पड़ी थीं।