Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Oct, 2017 12:10 PM
देश में जच्चा-बच्चा की मौत दर को घटाने, सरकारी अस्पतालों में गर्भवतियों को प्रसूति करवाने के लिए आकर्षित करने व महिला रोग विशेषज्ञ चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ व पैरा मैडीकल स्टाफ को रात्रि में भी सरकारी अस्पतालों में मौजूद रहने के लिए प्रोत्साहित करने...
मोगा(संदीप): देश में जच्चा-बच्चा की मौत दर को घटाने, सरकारी अस्पतालों में गर्भवतियों को प्रसूति करवाने के लिए आकर्षित करने व महिला रोग विशेषज्ञ चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ व पैरा मैडीकल स्टाफ को रात्रि में भी सरकारी अस्पतालों में मौजूद रहने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकारों की ओर से कई स्कीमें शुरू की गई हैं। इसके तहत 3 साल पहले सरकारी अस्पतालों में जरूरतमंद जच्चा की रात्रि को सर्जरी करने वाले महिला रोग विशेषज्ञ चिकित्सक व उसकी सहायता करने वाले स्टाफ को अतिरिक्त इंसैंटिव देने की घोषणा की गई थी।
विभाग की इस घोषणा के बाद से ही कुछ अस्पतालों में रात के समय ही अधिकतर गर्भवतियों की सर्जरियां होने का मामला चर्चा में है।गत दिनों स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म महिन्द्रा की ओर से मोगा जिले में दौरे के दौरान मीडिया की ओर से इंसैंटिव के लालच में अधिकतर प्रसूतियां रात के समय में ही होने का मामला चर्चा में होने पर किए गए सवाल में उन्होंने मामला ध्यान में होने व इसकी जांच करवाने के लिए विशेष बोर्ड का गठन करने की बात कही।
अगस्त व सितम्बर में 455 में से 323 डिलीवरियां रात को हुईं
सिविल अस्पताल मोगा के रिकार्ड अनुसार अप्रैल 2016 से मार्च 2017 तक 2,256 गर्भवतियों की सर्जरी से डिलीवरी करवाई गई, जिनमें से 1,338 सिजेरियन डिलीवरी रात्रि को व 918 सर्जरी दिन में हुईं। इस वर्ष पिछले 2 माह अगस्त व सितम्बर के दौरान 455 सिजेरियन डिलीवरियां करवाई गईं, जिनमें से 323 डिलीवरियां रात्रि को ही हुई हैं और बाकी केवल 132 सिजेरियन डिलीवरियां दिन में हुई हैं। विभागीय रिकार्ड अनुसार जिला मोगा में 40 लाख रुपए प्रोत्साहन इंसैंटिव विभाग की ओर से निर्धारित किया गया है।
टीम के लिए 3 हजार रुपए इंसैंटिव
एन.एच.एम. स्कीम के तहत रात्रि को सर्जरी कर डिलीवरी करने वाले स्टाफ की टीम के महिला डाक्टर को 1 हजार रुपए, शिशु रोग विशेषज्ञ को 700 रुपए, एनस्थीशियन (बेहोशी) के डाक्टर को 700 रुपए, पैरा मैडीकल स्टाफ को 600 रुपए प्रति डिलीवरी इंसैंटिव देने का प्रावधान है।