Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jun, 2017 04:12 PM
पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 में बहुमत हासिल कर सरकार बनाने वाली कांग्रेस एक के बाद एक विवाद में घिरती जा रही है।
जालंधरः पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 में बहुमत हासिल कर सरकार बनाने वाली कांग्रेस एक के बाद एक विवाद में घिरती जा रही है। कांग्रेस के पहले सत्र में विरोधियों ने कांग्रेस को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी परन्तु पहले बजट सैशन में 'आप' विधायकों की दस्तार के अपमान ने पंजाब भर के राजनीतिक और धार्मिक गलियारे में हलचल मचा दी है।
इस बेअदबी के अारोप पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह के सिर लग रहे हैं। आप विधायकों को विधानसभा से बाहर निकालने के लिए मार्शल को अादेश देकर विवादों में फंसे स्पीकर राणा के.पी. सिंह तीसरी बार ऐतिहासिक शहर श्री आनन्दपुर साहब से विधायक चुने जा चुके हैं। एक नामवर वकील से लेकर पंजाब विधानसभा के स्पीकर तक के सफर में राणा के.पी. सिंह ने बहुत उतार-चढ़ाव देखे।
गांव झांडियां में हुअा जन्म
उनका जन्म 1957 में रूपनगर हलके के गांव झांडियां में सरदार रघबीर सिंह राणा के घर हुअा । राणा ने भरतगढ़ से पढ़ाई करने के बाद देहरादून से लगा लॉ की पढ़ाई की।राजनीतिक सफर विद्यार्थी जीवन से ही कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से प्रभावित होने के कारण राणा कंवरपाल सिंह ने कांग्रेस की गतिविधियों में बढ़ -चढ़ कर हिस्सा लिया। राणा के.पी. सिंह की पार्टी प्रति वफादारी को देखते हुए उन्हे सबसे पहले रूपनगर जिला यूथ कांग्रेस का प्रधान नियुक्त किया गया इसके बाद राणा ने कांग्रेस में अपनी जगह मजबूत की। फिर वह पंजाब कांग्रेस के उप प्रधान और सर्व भारतीय कांग्रेस समिति के मैंबर भी रहे। राणा के.पी. ने साल 2002 में विधानसभा चुनाव में नंगल विधानसभा से कांग्रेस में भाग्य अजमाया और भारतीय जनता पार्टी के सीनियर नेता मदन मोहन मित्तल को 12 हजार से अधिक वोटों से हराया।
अासान नहीं थी राणा के स्पीकर चुने जानें की राह
इस दौरान कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सरकार में उन्हें पहले पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का चेयरमैन और फिर मुख्य पार्लीमानी सचिव नियुक्त किया गया। इसके बाद 2007 में उन्होंने फिर नंगल हलके से चुनाव लड़ा और मदन मोहन मित्तल को बड़े फर्क से बराया। तीसरी बार 2012 में श्री आनन्दपुर साहिब से किस्मत आजमाई और असफल रहे। 2017 विधानसभा चुनाव में लोगों ने एक बार फिर से राणा के.पी. सिंह के पत्र में फैसला सुनाया और उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार डा. परमिन्दर शर्मा को 23,881 वोटों के फर्क से हरा कर 2017 का चुनाव अखाड़ा जिता इसके बाद कांग्रेस ने राणा के.पी. सिंह को पंजाब विधान सभा का स्पीकर चुना।
यह चयन भी कोई आसान नहीं था। लगातार 'आप' की तरफ से स्पीकर के नाम का विरोध किया गया परन्तु फिर भी उनके नाम पर मुहर लगी पंजाब विधानसभा का स्पीकर ऐलान कर दिया गया और उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार डा. परमिन्दर शर्मा को 23,881 वोटों के फर्क से हरा कर 2017 का चुनाव अखाड़ा जिताइसके बाद कांग्रेस ने राणा के.पी. सिंह को पंजाब विधान सभा का स्पीकर चुना।
अब विधानसभा सत्र में हुई दस्तार की बेअदबी के मामले में विरोधी पक्ष'आप' का साथ देने के लिए अकाली भी उनके साथ डटकर खड़ा हो गया। इस मामले ने धार्मिक तूल पकड़ लिया। 'आप', अकाली दल और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति राणा के.पी. सिंह से सिर्फ माफी की ही नहीं बल्कि पद लेने की भी मांग कर रहे हैं।