Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Oct, 2017 12:14 PM
एक तरफ जहां लोगों द्वारा आज दीपावली का त्यौहार खुशी से मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ मोगा जिले के ऐतिहासिक गांव लोपों के निवासी एक व्यक्ति की जिंदगी ‘जंजीरों’ से जकड़ी हुई है।
मोगा (पवन ग्रोवर): एक तरफ जहां लोगों द्वारा आज दीपावली का त्यौहार खुशी से मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ मोगा जिले के ऐतिहासिक गांव लोपों के निवासी एक व्यक्ति की जिंदगी ‘जंजीरों’ से जकड़ी हुई है।
पत्नी पर भी लगाए कथित तौर पर आरोप
आज जब ‘पंजाब केसरी’ की टीम ने मौके पर जाकर देखा तो 60 वर्षीय गुरनाम सिंह गामे को एक कमरे में कैद किया हुआ था। ‘जंजीरों’ से बंधे गामे से जब इस संबंधी पूछा तो रोते हुए उसने इस रवैये के लिए अपनी पत्नी पर भी कथित तौर पर आरोप लगाए। थोड़ी दिमागी परेशानी से पीड़ित गामे से जब इस मामले संबंधी बातचीत करनी शुरू की तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। गामे ने बताया कि वह आजाद होकर जिंदगी जीने को तैयार है, लेकिन उसको चलने-फिरने नहीं दिया जाता। गामे से जब खान-पान संबंधी पूछा गया तो उसने बताया कि उसको अगर कुछ मिल जाए तो वह खा लेता है, नहीं तो फिर भूखा ही रहता है।
खुद को आजाद करवाने की लगा रहा गुहार
सूत्र बताते हैं कि 3 वर्ष पहले भी ‘गामा’ को घर में ही बंधक बनाकर रखा गया था लेकिन जब यह मामला मीडिया में उजागर हुआ था तो उसके बाद ही गामे को जिला प्रशासन ने आजाद ही नहीं करवाया था, बल्कि उसको सिविल अस्पताल में कई दिन दाखिल करके दवाई भी दी गई थी। मामले से जुड़े सूत्रों ने इस बात को बेनकाब किया है कि कई वर्ष तो गामे को प्रशासन के डर कारण पारिवारिक सदस्यों ने जंजीरों से नहीं जकड़ा लेकिन अब अचानक गामा फिर एक महीने से संगल से जकड़ा पड़ा है। कमरे के अंदर बिना किसी लाइट व अन्य प्रबंध से बैठे गामे की जिंदगी दिन-रात अंधेरे में रहती है। कमरे की खिड़की द्वारा रोशनी हासिल करता गामा पूरा दिन अपने आपको आजाद करवाने की गुहार तो लगाता रहता है लेकिन गामे की सुनवाई कहीं भी नहीं होती।