Edited By Updated: 22 Apr, 2017 12:51 AM
पंजाब कैबिनेट के विस्तार को लेकर अटकलों का बा...
लुधियाना(हितेश): पंजाब कैबिनेट के विस्तार को लेकर अटकलों का बाजार पूरी तरह गर्म है, इसके साथ ही मौजूदा मंत्रियों के विभाग बदलने या एकाध की छुट्टी होने की चर्चा ने भी जोर पकड़ लिया है। पंजाब में पूरे बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनने के बावजूद कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा डिप्टी सी.एम. के अलावा पूरे मंत्री भी न बनाने की बात अब तक सबको हैरान कर रही है।
इसे लेकर सरकार के पैरोकार भले ही दावेदारों की संख्या ज्यादा होने के कारण किसी विवाद से बचने के लिए पूरे मंत्री न बनाए जाने का हवाला दे रहे हैं लेकिन यह बात गले नहीं उतरती, क्योंकि अभी बहुत सारे ऐसे विधायक हैं जो कई बार जीतने के कारण सीनियर की कैटागरी में आते हैं और पहले भी मंत्री रह चुके हैं जबकि असलियत यह है कि कैप्टन ने अहम विभाग अपने पास रख कर चुनावी वायदे पूरे करने का क्रैडिट खुद लेने की कवायद के तहत ऐसा किया है। साथ ही कैप्टन यह भी चाहते थे कि जिन कामों के लिए अकाली दल बदनाम हुआ उन कामों का जिम्मा मंत्री को देने पर लिए जाने वाले फैसलों से कहीं नई सरकार की बदनामी न हो जाए।
इसके तहत मंत्रियों के काम की रैगुलर मोनीटरिंग हो रही है कि उनकी पब्लिक डीङ्क्षलग कैसी है और वह जनता के लिए कितनी आसानी से मिलते हैं। मंत्रियों द्वारा अपने विभाग के काम को सरल बनाने के अलावा पुरानी योजनाएं सिरे चढ़ाने व नए प्रोजैक्ट बनाने के लिए कितनी गंभीरता दिखाई जा रही है, उस पर नजर रखने के लिए भी सरकार ने एक टीम लगा रखी है। इसका संकेत गत दिवस हुई कैबिनेट मीटिंग में देखने को मिला जब एजैंडा तो पिछली 2 मीटिंगों में हुए फैसलों पर अमल की समीक्षा के नाम पर रखा गया लेकिन सही अर्थों में उसका मकसद मंत्रियों की वर्किंग का मूल्यांकन करना था कि अपने विभाग से जुड़े मामले में उन्होंने क्या किया।
इसकी भनक शायद मंत्रियों को पहले ही लग गई थी जिन्होंने अपने विभाग की मीटिंग करके आगामी मिशन बारे टारगेट भी तय कर दिया है। इस दौर में यह बात साफ हो गई है कि मौजूदा मंत्री ओवरलोड हैं तथा कैप्टन के पास काफी ज्यादा विभाग होने के कारण काम प्रभावित हो रहा है जिसके चलते जल्द ही कैबिनेट विस्तार की अटकलें तेज हो गईं। हालांकि कैप्टन पहले ही कह चुके हैं कि बजट सैशन के दौरान नए मंत्री बना लिए जाएंगे लेकिन उसमें पुराने मंत्रियों के विभाग बदलने या एकाध की छुट्टी होने की भी चर्चा है। इसके संकेत हाल ही में साधु सिंह धर्मसोत द्वारा एक स्कूल के उद्घाटन पत्थर पर नीचे नाम न लिखा होने के कारण पिं्रसीपल को सस्पैंड करने बारे दी गई धमकी के मामले से मिलते हैं।
इसके बाद सरकार ने उद्घाटन पत्थर पर सी.एम. या मंत्री का नाम लिखने पर ही रोक लगा दी है। इसी तरह अरुणा चौधरी के साथ पति के बैठने पर सरकार ने रोक लगा दी है। सिद्धू की पत्नी भी अब विभाग की मीटिंग में नहीं बैठ रही है। 2 अन्य मंत्रियों के परिवार के मैंबरों को भी विभाग के काम में दखल देने से मना कर दिया गया है।