Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 May, 2017 12:11 PM
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नियुक्ति और तबादला नीति संबंधी हर सरकार ठोस नीति बनाने की बात कागजों और मीडिया में करती है, परंतु जब मौका आता है तो अमल के रूप में सब कुछ नीति और दावों के उलट होता है। इस मुद्दे पर पिछली सरकार के समय जी भर कर कोसने वाले...
जलालाबाद(सेतिया): शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नियुक्ति और तबादला नीति संबंधी हर सरकार ठोस नीति बनाने की बात कागजों और मीडिया में करती है, परंतु जब मौका आता है तो अमल के रूप में सब कुछ नीति और दावों के उलट होता है। इस मुद्दे पर पिछली सरकार के समय जी भर कर कोसने वाले कांग्रेसी नेता आज शिक्षा अधिकारियों की नियुक्तियों में अनियमितताओं को लेकर पिछली सरकार की कार्यप्रणाली को भी पीछे छोड़ गए हैं।
लम्बे इंतजार के बाद मौजूदा शिक्षा मंत्री के निर्देशों पर शिक्षा अधिकारियों की बदली और नियुक्तियां की 2 सूचियां जारी हुईं जिसमें क्रमवार 60 और 68 अधिकारियों जिनमें डिप्टी डायरैक्टर, सहायक डायरैक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, मंडल शिक्षा अधिकारी और पिं्रसीपल कैडर के नाम शामिल थे। जब ये सूचियां जारी हुईं तब कुछ विधायक भी नाराज नजर आए और उन्होंने मीडिया में भी बयान दिए कि आज के समय में ये बदलियां शिक्षा जगत में चर्चा का विषय बनी हुई हैं, क्योंकि शिक्षा अधिकारियों को वरिष्ठता के आधार पर नियुक्त करने का दावा करके विभाग ने जूनियर अधिकारियों को उच्च पदों के साथ नवाजा और सीनियर अधिकारी जो 2010 या इससे पहले बैच के थे, को बदल कर दूर-दराज इलाकों के स्कूलों का प्रिंसीपल लगा दिया और अब ये अधिकारी अपने से 5-5 साल जूनियर यानी 2014-15 के अधिकारियों के अधीन काम करेंगे, जिससे विभाग में नए नियम की समस्याएं पैदा होंगी।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बदलियां राजनीतिक दबाव और भाई-भतीजावाद की तरफ इशारा करती हैं, जिसका नुक्सान राज्य के शिक्षा ढांचे पर बेहद नकारात्मक पड़ेगा।इस संबंधी मास्टर कैडर यूनियन जिला फाजिल्का के प्रधान एच.एस. दुरेजा का कहना है कि उच्च पदों पर बैठे शिक्षा अधिकारियों को निचले स्तर पर लेकर जाना मन्दभागी बात है क्योंकि ऐसी कार्रवाइयों से अधिकारियों का मनोबल गिरेगा। जिक्रयोग्य है कि हलका जीरा के विधायक कुलबीर सिंह जीरा द्वारा शिक्षा मंत्री के खिलाफ उठाया गया झंडा भी इस बात की गवाही देता है कि शिक्षा के क्षेत्र में कहीं न कहीं राजनीतिके कारण अनियमितताएं हुई हैं।