‘असर’ में दिखी मोदी के डिजीटल इंडिया के सपने की धुंधली तस्वीर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jan, 2018 10:02 AM

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एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन (असर) सर्वे की रिपोर्ट में ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजीटल इंडिया के सपने को धुंधला करते प्रतीत होते हैं। आज के दौर में जहां 2 साल का बच्चा मोबाइल चला रहा है, वहीं 14 से 18 साल के...

लुधियाना(विक्की) : एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन (असर) सर्वे की रिपोर्ट में ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजीटल इंडिया के सपने को धुंधला करते प्रतीत होते हैं। आज के दौर में जहां 2 साल का बच्चा मोबाइल चला रहा है, वहीं 14 से 18 साल के 76 फीसदी बच्चे ऐसे पाए गए, जो नोट भी सही तरह से नहीं गिन पाए। न्यू इंडिया की ओर बढ़ रहे देश में 10 में से 7 बच्चों को मोबाइल पर अपनी ही भाषा में लिखा मैसेज तक पढऩा नहीं आता। सर्वे में ज्यादातर 8वीं पास करने वाले विद्यार्थियों को शामिल किया गया। सर्वे में देश के 24 राज्यों के 28 जिलों के 1641 गांवों के 28323 हजार बच्चों को शामिल किया गया।


किलोग्राम में वजन नहीं आया बताना  
यहीं बस नहीं 14 से 18 वर्ष के बीच के अधिकतर बच्चों को किलोग्राम में वजन भी बताना नहीं आया। हैरानी की बात तो यह है कि घड़ी पर सही समय देखना भी 40 प्रतिशत बच्चे नहीं जानते। अधिकतर बच्चों को तो घंटे और मिनट के बीच का फर्क भी नहीं पता। 

7& फीसदी युवा कर रहे मोबाइल प्रयोग 
सर्वे में पता चला है कि 64 फीसदी युवाओं ने कभी इंटरनैट का इस्तेमाल ही नहीं किया और जनरल नॉलेज में भी वे फिसड्डी हैं। देश में 7& फीसदी युवा मौजूदा समय में मोबाइल प्रयोग कर रहे हैं। 14 वर्ष की उम्र में 64 प्रतिशत, जबकि 18 साल की उम्र तक आते-आते यह आंकड़ा 82 प्रतिशत पहुंच रहा है। यही नहीं मोबाइल से दूर रहने वालों में 22 फीसदी लड़कियां और 12 फीसदी लड़के हैं। 

36 प्रतिशत बच्चों को नहीं पता देश की राजधानी का नाम 
करीब 14 प्रतिशत बच्चों को जब देश का मैप दिखाया गया तो उन्हें इसके बारे में भी पूरा ज्ञान नहीं था। वहीं 36 प्रतिशत बच्चों को देश की राजधानी का नाम ही नहीं मालूम। ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करने पर ध्यान दे रही मोदी सरकार के प्रयास को झटका ही कहा जाएगा कि 21 प्रतिशत बच्चों को अपने राज्यों का नाम तक नहीं पता था। इससे देश की ग्रामीण शिक्षा की तस्वीर साफ दिख रही है। 

सर्वे में ये भी हुए खुलासे  
1देश में 10 करोड़ से अधिक है 14 से 18 साल के बच्चों की गिनती।
1 49 प्रतिशत लड़कों ने यूज नहीं किया इंटरनैट।
1 76 प्रतिशत लड़कियां भी इंटरनैट से दूर।
125 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ पाते मातृभाषा में लिखी किताब।
1 अपनी भाषा पढऩे में अटके एक चौथाई बच्चे।
1 57 प्रतिशत बच्चे गुना, भाग सही ढंग से करने में असमर्थ।
15& फीसदी बच्चे पढ़ पाए इंगलिश वाक्य।
1 गणित में भी फिसड्डी बच्चे।
1&2 फीसदी लड़कियां और 28 फीसदी लड़के स्कूल-कालेज जाने से वंचित।

खिलौने नहीं, मोबाइल से चुप हो रहा रोता बच्चा  
देश में जहां 2 साल के रोते बच्चे को खिलौने देकर चुप करवाना मुश्किल हो चुका है वहीं अगर एक बार उसके हाथ में मोबाइल फोन पकड़ा दिया जाए तो मजाल है कि एक बूंद भी आंसू गिर जाए। बच्चों का तकनीक से जुडऩा अच्छी बात है लेकिन देश के 14 से 18 साल के बच्चों का हाल यह है कि वे मोबाइल चलाना तो जानते हैं लेकिन उस पर अपनी ही भाषा में लिखे संदेश को पढ़ नहीं सकते। 

न्यू इंडिया का 59 प्रतिशत युवा कम्प्यूटर से दूर  
देश को जहां डिजीटल इंडिया बनाने की बातें हो रही हैं, वहीं हाल यह है कि न्यू इंडिया का 59 फीसदी युवा अभी भी कम्प्यूटर से दूर है। हालांकि मोबाइल पर युवाओं का इंट्रस्ट तेजी से बढ़ रहा है लेकिन कम्प्यूटर व इंटरनैट से इनकी दूरी बताई गई है। 

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