Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Aug, 2017 10:24 AM
जालंधर की रहने वाली दो बहनों की बाईं आंख नीली और दाईं भूरी है।
जालंधरः जालंधर की रहने वाली दो बहनों की बाईं आंख नीली और दाईं भूरी है। मां जसबीर कौर कहती हैं- जब बड़ी बेटी रवीना पैदा हुई तो इसकी दोनों आंखें का रंग अलग-अलग था। यह देख परिवार हैरान था। हम थोड़ा डर भी गए थे। डॉक्टर के पास गए, पूछा- कहीं कोई बीमारी तो नहीं है लेकिन डॉक्टर कुछ भी बता नहीं पाए। रवीना पहली संतान थी इसलिए डर बना रहता था कि कहीं आगे जाकर उसे देखने में कोई तकलीफ न हो।
रवीना के पैदा होने के समय से ही उसकी आंखें ऐसी ही थीं। इसके बाद जब रमन प्रीत पैदा हुई तो उसकी आंखें भी बिल्कुल बड़ी बेटी के जैसे थी। लोग हमें कहते थे कि ऐसा कभी देखा तो नहीं कि किसी बच्चे की आंखें दो रंग की हो। इन्हें देखने में कोई दिक्कत नहीं थी तो हमने इसे गॉड गिफ्ट मान लिया।
पिताराम पाल पिछले 2 साल से दुबई में हेल्पर के तौर पर काम करते हैं। दोनों बहनें अपने ही गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ने जाती हैं। लोग अक्सर इनकी आंखों के रंग को देखकर हैरान ही रहते हैं और उनके साथ सेल्फी करवाते हैं।
आंखों के विशेषज्ञ डॉ. जे.एस. थिंद बताते हैं कि इन दोनों बच्चियों की आंखें हाईडोक्रोमिया नामक बीमारी के चलते दो रंग की है, जो कि जैनेटिक है। इनमें सिर्फ आंखों का रंग ही अलग- अलग होता है। रोशनी आम इंसान की तरह होती है। रवीना और रमनप्रीत गांव संगल सोहल में मां जसबीर कौर, दादा गुरबचन दास, दादी सुरिंदर कौर और चाचा पवन कुमार के साथ रहती हैं। दोनों पढ़ाई में भी काफी होशियार हैं।