Edited By Updated: 05 Feb, 2017 04:33 PM
चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद भी न तो शराब बांटने का काम रुका और न ही वोटों की खरीद-फरोख्त रुक पाई। जैसे अंदेशा था कि नोटबंदी के कारण 2017 के विधानसभा चुनावों में नकदी की किल्लत आ सकती है ओर वोटों की खरीद-फरोख्त नहीं हो पाएगी।
भटिंडा(विजय): चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद भी न तो शराब बांटने का काम रुका और न ही वोटों की खरीद-फरोख्त रुक पाई। जैसे अंदेशा था कि नोटबंदी के कारण 2017 के विधानसभा चुनावों में नकदी की किल्लत आ सकती है ओर वोटों की खरीद-फरोख्त नहीं हो पाएगी। अधिकतर प्रत्याशियों ने शराब व नकदी का पहले ही इंतजाम कर रखा था जो 3 फरवरी की रात को बांटे गए। प्रत्याशियों के कार्यकर्ता , नजदीकी चहेते पूरी रात इस काम में जुटे रहे।
बेशक दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ता उन पर नजर रखे हुए थे लेकिन फिर भी यह मामला रुका नहीं। कई स्थानों पर नोटों व शराब को लेकर पार्टियों में झड़पें भी हुईं, यहां तक कि गोलियां चलीं व तेजधार हथियारों का भी प्रयोग किया गया। चुनाव आयोग ने इस पर सख्त कदम उठाते हुए सभी बड़ी पार्टियों सहित प्रत्याशियों को निर्देश जारी किए थे कि चुनाव आचार संहिता का पालन करें अन्यथा उन पर कार्रवाई होगी। पहले कुछ दिन तो प्रत्याशियों पर चुनाव आयोग की तलवार लटकती रही लेकिन धीरे-धीरे प्रत्याशी फिर वहीं पुरानी रणनीति के तहत बेखौफ होकर चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते रहे और चुनाव आयोग मूक दर्शक होकर देखता रहा।