Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 02:21 PM
डायबिटीज की दवा देने का सिस्टम बदलने वाला है। पहले एक-दो टैस्ट करने के बाद ही मान लिया जाता था कि मरीज को शुगर हो चुकी है लेकिन अब डॉक्टर जल्दी दवा शुरू नहीं करेंगे।
जालंधरः डायबिटीज की दवा देने का सिस्टम बदलने वाला है। पहले एक-दो टैस्ट करने के बाद ही मान लिया जाता था कि मरीज को शुगर हो चुकी है लेकिन अब डॉक्टर जल्दी दवा शुरू नहीं करेंगे।
इसके लिए 7 से 15 दिनों तक हर घंटे शुगर का टैस्ट किया जाएगा और कई फार्मूलों और रिपोर्टों के आधार पर दवा शुरू होगी। हफ्ते में जितने भी टैस्ट होंगे, उनमें उंगली से खून निकालने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। टैस्ट बिना खून निकाले ही ग्लूकोज मॉनिटरिंग मशीन से किए जाएंगे। इसे ग्लाइसेमिक वेरिएबिलिटी टैस्ट कहा जाता है। दरअसल पहले यह टैस्ट थोड़ा पीड़ादायक होता था। बहुत सारे प्रिंक (सूई चुभो कर खून का सैंपल निकालना) करने पड़ते थे लेकिन अब ऐसी मशीन अा चुकी है, जिसे बाजू पर बांध दिया जाता है और उसमें लगे सेंसर हर घंटे शुगर का टेस्ट करते रहते हैं। बिना शरीर से खून निकालने वाली इस मशीन के टेस्ट सफल होने के बाद इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है।
अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित डायबिटिक मरीजों के अलग-अलग टैस्ट किए जाते हैं। कुछ की 48 घंटे की शुगर चैक की जाती है लेकिन ज्यादातर मामलों में यह 7 से 15 दिन तक शुगर को मॉनिटर करता है।
फैमिली फिजिशियंस द्वारा करवाए गए सैमीनार में न्यू रूबी अस्पताल के मैडीकल स्पेशलिस्ट डॉ. एस.पी.एस. ग्रोवर ने जानकारी दी।