Edited By Updated: 13 Nov, 2016 08:46 PM
सतलुज यमुना लिंक नहर जिसको एसवाईएल नहर के नाम से भी जाना जाता है जो कि श्री आनंदपुर साहिब हाइडल चैनल नहर
श्री कीरतपुर साहिब(बाली): सतलुज यमुना लिंक नहर जिसको एसवाईएल नहर के नाम से भी जाना जाता है जो कि श्री आनंदपुर साहिब हाइडल चैनल नहर के गांव कल्याणपुर में समाप्त होने के बाद शुरू हो जाती है। एसवाईएल नहर का विवाद जो इस समय चरम सीमा पर है तथा हर कोई राजनीतिक पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव निकट आने के कारण मसले को काफी जोर शोर से उठा रही हैं। इस मसले के बारे में पंजाब केसरी की टीम ने इस नहर के साथ-साथ पड़ते गांवों का दौरा करके आम लोगों के साथ उनके प्रतिक्रिया प्राप्त की है। जिनकी यह नहर के लिए एक्वायर की गई थी।
क्या कहना है कि गांव फतेहपुर बुंगा के निवासियों का
गांव फतेहपुर बुंगा के सरपंच बाली सिंह सहित अन्य लोगों ने बताया कि वर्ष 1980 से वर्ष 1982 तक एसवाईएल नहर बनाने के लिए उनकी कई एकड़ जमीन सरकार द्वारा एक्वायर की गई। सरकार ने जिस जमीन को पानी लगता था, उसका 15 से 18 हजार रुपए प्रति किला तथा अन्य दूसरी जमीन का 6 हजार रुपए प्रति किला किसानों को मुआवजा दिया गया। उनके द्वारा अपनी जमीन का और मुआवजा लेने के लिए पटियाला में केस भी किए पर कुछ किसानों को नाममात्र बढ़े हुए मुआवजे के पैसे मिले तथा शेष को कुछ भी नहीं मिला।
जमीन नहर के आर-पार बांटी गई
उन्होंने बताया कि नहर बनने के कारण पहले तो उनकी उपजाऊ जमीन कौडिय़ों के भाव जाती रही तथा जो जमीन शेष बची वह भी नहर के आर-पार बांटी गई। जिसके कारण वह सही ढंग से कृषि भी नहीं कर सकते तथा उनकी कुछ जमीन में नहर की मिट्टी निकाल कर गराई गई। जिसके कारण यह जमीन भी उनकी बर्बाद हो गई। यह समस्या सिर्फ उनकी ही नहीं बल्कि प्रत्येक किसान की समस्या है।
नहीं मिली सरकारी नौकरी
जिन किसानों, लोगों की जमीन इस नहर में आई, उनके एक पारिवारिक मैंबर को सरकार ने नौकरी देना का वादा किया था पर किसी को भी नौकरी नहीं मिली। जिसके कारण कई परिवारों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई।
गांव अटारी व गांव प्रिथीपुर के किसानों के विचार
एसवाईएल नहर के बारे में जब गांव अटारी के किसान नंबरदार गुरदित्त सिंह, रत्न सिंह राणा, अजमेर सिंह आदि ने बताया कि एसवाईएल नहर बनाने के लिए सरकार ने उनकी जमीन भी कोडिय़ों के भाव एक्वायर की थी। केस डालने के बावजूद भी उन्हें कोई अतिरिक्त मुआवजा नहीं मिला। इस नहर के बनने से उन्हें कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ा।
पानी का लैवल और नीचे जाएगा
एसवाईएल नहर के बनने के कारण गांव प्रिथीपुर, फतेहपुर बुंगा, हरदो हरीपुर, ताजपुरा आदि गांवों का पानी का स्तर बहुत नीचे चला गया है। नहर बनने से पहले पानी का स्तर 30 से 100 फीट तक था पर इस समय 400 फीट से कम इस इलाके में बोर नहीं होता। बोर में से एक घंटे के बाद पानी आने की क्षमता काफी घट जाती है।
कई गांवों को हो चुका है उजाड़ा
गांव डाढी के निवासी कैप्टन बलवीर सिंह, गुरचरण सिंह चन्नी, अजमेर सिंह, सज्जन सिंह, दलवीर सिंह ने बताया कि एसवाईएल नहर के कारण उनका गांव जो पहले नहर वाले स्थान पर होता था सारा विस्थापित होकर इस स्थान पर आ बसा है। नहर के बनने के कारण उनका उजाड़ा हुआ है। उनकी कीमती जमीनें कौडिय़ों के भाव एक्वायर कर ली गईं।
नहीं मिलेगा पानी
सारे गांवों के किसानों का कहना है कि यदि यह नहर अब चालू होती है तो इसका उन्हें तथा पंजाब के गांवों के अन्य किसानों को पानी मिलना मुश्किल है। इस समय बंद पड़ी उक्त नहर में कई स्थानों पर पानी जमा है। नहर के साथ लगती जमीनों के मालिक पंप लगा कर बंद पड़ी नहर से पानी उठा कर अपनी जमीन को दे रहे हैं पर नहर चालू होने के बाद इसका पानी प्रयोग करने की कोई आज्ञा नहीं देगा।