Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Sep, 2017 12:07 PM
पंजाब सरकार द्वारा शुरू की गई 2 रुपए किलो गेहूं देने की योजना के कारण डिपो होल्डरों को भारी आर्थिक नुक्सान हो रहा है। यही कारण है कि
गुरदासपुर (विनोद): पंजाब सरकार द्वारा शुरू की गई 2 रुपए किलो गेहूं देने की योजना के कारण डिपो होल्डरों को भारी आर्थिक नुक्सान हो रहा है। यही कारण है कि पंजाब के लगभग 50,000 डिपो बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। कुछ डिपो होल्डरों ने अपना नाम गुप्त रखने के आश्वासन पर बताया कि पंजाब सरकार द्वारा शुरू की गई 2 रुपए किलो गेहूं तथा 30 रुपए किलो दाल देने की योजना इस समय डिपो होल्डरों के लिए गले की हड्डी बन कर रह गई है।
गेहूं सरकारी गोदामों से उठाकर गलियों में डिपुओं तक लाने के लिए अपनी जेब से किराया खर्च करके लाना पड़ रहा है। इस आटा-दाल स्कीम के वितरण संबंधी डिपो होल्डर को 25 रुपए प्रति क्विंटल कमीशन देने की बात तो कही जा रही है परंतु अभी तक कुछ नहीं दिया गया। दूसरी ओर इस समय सबसे अधिक समस्या गोदामों से जो गेहूं डिपो होल्डरों को मिल रही है, वह बिना तोल किए दी जा रही है। जो गेहूं बिना तोल किए दी जा रही है उसका निर्धारित वजन से प्रति बोरी वजन कम होता है। जो गेहूं गोदामों से तोल कर सप्लाई की जा रही है उस पर गोदामों में ही पानी का छिड़काव कर उसका वजन पूरा कर दिया जाता है, परंतु जब यह गेहूं डिपो होल्डर के पास कुछ दिन पड़ी रहती है तो पानी सूख जाने के बाद गेहूं का वजन कम हो जाता है, जबकि गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लाभपात्र यह गेहूं पूरी मात्रा में ही लेते हैं। इस कारण डिपो होल्डरों को भारी आर्थिक नुक्सान का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार ने इस संंबंधी डिपो होल्डरों को आदेश दे रखा है कि वे लाभपात्र का नीलाकार्ड, राशनकार्ड की कापी तथा आधारकार्ड की फोटो कापी लेकर ही यह गेहूं सप्लाई करें। कई बार तो डिपो होल्डर को 6-6 माह की गेहूं इकट्ठी गोदामों से उठानी पड़ती है। जब वह लाभपात्र से सरकार के दिशा-निर्देश अनुसार ये चीजें मांगता है तो आधारकार्ड अधिकतर लोगों के पास न होने कारण वे डिपो होल्डर को बुरा-भला कहते हैं। डिपो होल्डर जो पहले ही घाटे का काम करने के लिए तैयार नहीं है, वह गालियां खाकर भी चुप रहता है। डिपो होल्डरों के पास डिपो का काम छोडऩे के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं बचा।