आबकारी एवं कराधान विभाग की कार्यशैली से डी.टी.बी.ए. नाखुश

Edited By Updated: 23 Mar, 2017 09:58 AM

department of excise and taxation

आबकारी एवं कराधान विभाग की कार्यशैली पर एक बार फिर प्रश्नचिन्ह लग गया है। जहां सरकार पूरे देश को जी.एस.टी. के माध्यम से कम्प्यूटराइज्ड

लुधियाना (सेठी): आबकारी एवं कराधान विभाग की कार्यशैली पर एक बार फिर प्रश्नचिन्ह लग गया है। जहां सरकार पूरे देश को जी.एस.टी. के माध्यम से कम्प्यूटराइज्ड करने जा रही है, जिसके पश्चात देश का कोई भी टैक्स से संबंधित विभाग बिना सिस्टम के काम नहीं कर पाएगा, वहीं उक्त विभाग वर्तमान समय में भी मैनुअल काम को बढ़ावा दे रहा है, जिससे कारोबारियों और प्रोफैशनल्स की मुसीबतें बढ़ रही हैं। इसी संबंध में जिला टैक्सेशन बार एसोसिएशन ने विभाग पर आरोप लगाया है कि जिन जी.एस.टी. प्रोवीजनल आई.डी. पासवर्ड को अपलोड करने की अंतिम तारीख 31 मार्च रखी गई है, वह गलत व निराधार है। प्रधान वरिंद्र शर्मा, सौरव बेरी, योगेश अरोड़ा, पवन चोपड़ा व सुनील चावला ने बताया कि महानगर में कुल 60 हजार के लगभग वैट डीलर है, जिनमें 30 से 40 फीसदी कारोबारियों के जी.एस.टी. आई.डी. पासवर्ड नम्बर नहीं आए हैं।

इसका कारण यह है कि रजिस्ट्रेशन करवाते वक्त उसका पैन नम्बर विभाग के पास अपलोड नहीं हुआ है, जबकि आर.सी. लेते वक्त सबसे पहले विभाग पैन कार्ड की कॉपी लेता है। कर्मचारियों की लापरवाही के कारण पैन नम्बर की डिटेल विभाग के रजिस्टर पर गलत दर्ज होती है, जिसका खामियाजा कारोबारी व प्रोफैशनल भुगतते हैं। उनका कहना है कि अभी 20 हजार के लगभग प्रोवीजनल जी.एस.टी. आई.डी. पासवर्ड पैंङ्क्षडग हैं, जो विभाग की घटिया कार्यशैली की मुंह बोलती तस्वीर है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि विभाग अपने काम में पारदर्शिता लाए अन्यथा जी.एस.टी. आने के बाद तमाम संबंधित लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा।

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