Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Dec, 2017 05:54 PM
मोबाइल फोन व इंटरनैट के युग में अधिकांश लैटर बाक्स इन दिनों चिट्ठियों को तरस रहे हैं। महानगर में जगह-जगह लगे लैटर बाक्सिस में से अधिकतर तो कबाड़ बन चुके हैं। कुछेक लैटर बाक्स फिलहाल ठीक हालत में हैं लेकिन उनमें भी कोई डाक नहीं डालता। अधिकांश लोग...
बठिंडा(परमिंद्र): मोबाइल फोन व इंटरनैट के युग में अधिकांश लैटर बाक्स इन दिनों चिट्ठियों को तरस रहे हैं। महानगर में जगह-जगह लगे लैटर बाक्सिस में से अधिकतर तो कबाड़ बन चुके हैं। कुछेक लैटर बाक्स फिलहाल ठीक हालत में हैं लेकिन उनमें भी कोई डाक नहीं डालता। अधिकांश लोग स्पीड पोस्ट, रजिस्ट्री या कोरियर का ही सहारा लेते हैं जिस कारण दशकों से लोगों की पहली पसंद रहे लैटर बॉक्सों की बेकद्री हो रही है। लोगों द्वारा डाक न डालने के रुझान को देखते हुए डाक विभाग ने भी अधिकांश लैटर बक्सों को ताले भी लगाने बंद कर दिए हैं।
महानगर के विभिन्न हिस्सों में डाक विभाग की ओर से चिट्ठियां व अन्य डाक डालने के लिए बकायदा लैटर बॉक्स लगाए गए हैं। लेकिन अधिकांश बाक्स पिछले कुछ सालों से ये काम नहीं आ रहे। लोगों ने इन बक्सों में चिट्ठियां व अन्य डाक डालना बंद कर दिया है व कुछेक लैटर बाक्स ही प्रयोग किए जा रहे हैं। अगर किसी को डाक डालनी भी होती है तो वह मुख्य डाकघरों के अंदर ही लगाए गए लैटर बक्सों में डाक डालता है। ऐसे में शहर के अलग-अलग हिस्सों में लगे लैटर बाक्स कबाड़ बनते जा रहे हैं। जी.टी. रोड पर कई जगहों पर लगे लैटर बाक्स पुराने हो चुके हैं व टूट चुके हैं। फौजी चौक के नजदीक एक लैटर बाक्स को ताला भी नहीं लगाया गया।
‘‘विभाग की विशेष टीमों द्वारा समय-समय पर लैटर बक्सों की जांच की जाती है क्योंकि लोग अभी भी इन बक्सों का प्रयोग डाक डालने के लिए करते हैं। अगर कोई ताला टूटा या कोई अन्य खराबी मिलती है तो उसे ठीक किया जाता है। जिस जगह पर लैटर बाक्स का उपयोग नहीं होता वहां से उसे हटा लिया जाता है। - ’गोपाल कृष्ण, सुपरिंटैंडैंट डाक विभाग।