Video-ऋण माफी घोषणा पर मैराथन मीटिंग,किसानों को संतुष्ट नहीं कर पाए कैप्टन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Jun, 2017 01:45 PM

कैप्टन अमरेंद्र सिंह सरकार द्वारा राज्य के  छोटे व दरमयाने 5 एकड़ तक की जमीन वाले किसानों की ऋण माफी की गई घोषणा के बाद हाल ही में हुए विधानसभा-सत्र के दौरान विपक्ष ने आशंकाएं जताई थीं।

चंडीगढ़  (भुल्लर): कैप्टन अमरेंद्र सिंह सरकार द्वारा राज्य के  छोटे व दरमयाने 5 एकड़ तक की जमीन वाले किसानों की ऋण माफी की गई घोषणा के बाद हाल ही में हुए विधानसभा-सत्र के दौरान विपक्ष ने आशंकाएं जताई थीं। इसी कारण स्थिति को स्पष्ट करने के लिए आज यहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा राज्य के सभी प्रमुख संगठनों के साथ बैठक की गई। किसान नेताओं से कई घंटे तक चले विचार-विमर्श के दौरान ऋण माफी को घोषणा संबंधी मुख्यमंत्री किसान नेताओं को संतुष्ट नहीं कर सके। 

 

यहां तक कि ऋण माफी की घोषणा की नीति को लागू करने के लिए जारी किए जाने वाले नोटीफिकेशन की तिथि के बारे में भी कैप्टन किसान नेताओं को साफ-साफ कुछ नहीं बता सके। उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि सरकार जल्द ही नोटीफिकेशन जारी करेगी, जबकि बैठक में उपस्थित मुख्यमंत्री के चीफ प्रधान सचिव सुरेश कुमार का मानना था कि नोटीफिकेशन जारी होने में 2 से 3 माह का समय लगेगा और सितम्बर माह तक ही जारी हो पाएगा। 

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किसान नेताओं का इस बात पर जोर था कि नोटीफिकेशन तुरंत जारी होना चाहिए। आढ़तियों के ऋण को लेकर भी बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे सके। 
मुख्यमंत्री का कहना था कि आढ़तियों के ऋण पर विचार के लिए कैबिनेट सब-कमेटी गठित कर दी गई है। किसान नेताओं का कहना था कि कमेटी बनाने से इस मामले का समाधान नहीं होने वाला। किसान नेताओं का यह भी कहना था कि वित्त मंत्री इसके विपरीत गत दिवस बयान दे चुके हैं कि आढ़तियों के कर्जे का निपटारा सरकार द्वारा गठित जिला स्तरीय बोर्डों में होगा। 

 

उल्लेखनीय बात है कि बैठक में उपस्थित वित्त मंत्री मनप्रीत बादल इस पर कुछ भी नहीं बोले। इस बैठक में ऋण माफी की सीमा 5 एकड़ तक रखने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। इसको लेकर किसान संगठनों में भी मतभेद देखे गए हैं। कुछ संगठन 5 एकड़ तक की सीमा पर सहमत थे जबकि कुछ चाहते थे कि कम से कम 10 एकड़ तक की सीमा रखी जाए। कई संगठन सीमा को खत्म किए जाने के पक्ष में थे। इनका विचार था कि ऋण बेशक कम हो ज्यादा माफ उनका होना चाहिए जो किसान ऋण भरने से असमर्थ है। ऐसे किसान ही खुदकुशियां कर रहे हैं। 

 

एस.वाई.एल. नहर के मुद्दे पर भी कैप्टन ने स्पष्ट किया कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्यों को देने के लिए एक बूंद भी फालतू पानी नहीं और राज्य के पानी की हर तरीके से रक्षा की जाएगी।लम्बे समय से पंचायती/शामलाट जमीन में खेती कर रहे काश्तकारों को मालकी हक देने, आवारा पशुओं का उचित प्रंबंध तथा किसानों की सहमति के बिना भूमि को एक्वायर करने से रोकने जैसी अहम मांगें भी किसान संगठनों ने मुख्यमंत्री के समक्ष उठाई। आज की बैठक में सरकार की ओर से मुख्यमंत्री के साथ कैबिनेट मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, तृप्त राजिंद्र सिंह बाजवा, पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन लाल सिंह, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, मुख्यमंत्री के  मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार, मुख्य सचिव करण अवतार सिंह व  अन्य विभागों से संबंधित उच्च अधिकारी उपस्थित थे। पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी इस बैठक में विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

 

किसान संगठनों की ओर से मुख्यमंत्री से बैठक करने वालों में भाकियू (एकता) उगराहां के सुखदेव सिंह कोकरी, भाकियू (राजेवाल) के बलवीर सिंह राजेवाल, भाकियू क्रांतिकारी (फूल ग्रुप)के सुरजीत सिंह, भाकियू क्रांतिकारी (शिंदिर)के शिंदिर सिंह लक्खोवाल, किर्ती किसान यूनियन के दतार सिंह, किसान संघर्ष कमेटी ( पन्नू ग्रुप) के कमलप्रीत सिंह पन्नू, आजाद किसान संघर्ष कमेटी के रणधीर सिंह पंजाब किसान यूनियन (रूलदू ग्रुप) के रूलदू सिंह, पगड़ी संभाल जटटा लहर के कमलप्रीत सिंह काकी, भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) के  हरिंद्र सिंह लक्खोवाल, भाकियू (सिधुपुर) के काका सिंह, भाकियू (मान) के भूपिंद्र सिंह मान, भाकियू (डकौंदा) के बूटा सिंह और भाकियू (कादियां)के हरमीत सिंह के नाम उल्लेखनीय है।

 

‘तुसीं तां मेरे पिच्छे मक्खियां वांग पै गए हो’ 
ऋण माफी की योजना संबंधी आंशकाओं को लेकर चर्चा के दौरान किसान नेताओं की मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से दिलचस्प वार्तालाप चला। किसान नेता जब बार-बार कैप्टन से ऋण माफी के नोटीफिकेशन व आढ़तियों के ऋण आदि मुद्दों पर बार-बार पूछते रहे तो कैप्टन ने आखिर हास्य भरे अंदाज में कहा कि ‘तुसीं तां मेरे पिच्छे मक्खियां वांग पै गए हो’।  मैं तुम्हें स्पष्ट कह रहा हूं कि जो हमने वायदे किए हैं, वे सभी पूरे किए जाएंगे। ऋण माफी से बड़ी शुरूआत की गई है और तुम्हें सवाल पूछने की जगह सरकार के इस कदम की सराहना करनी चाहिए। 

 

जिनके कर्जे सरकार ने किए माफ, उन्हें अब ऋण भरने की जरूरत नहीं’
बैठक में विचार-विमर्श के बाद कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार जिन किसानों का ऋण माफ कर चुकी है उन्हें अब ऋण भरने की जरूरत नहीं है और इसे अब इसे सरकार चुकाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फसलों के मूल्य संबंधी स्वामीनाथन की सिफारिशें लागू करवाने के लिए केंद्र पर दबाव बनाया जाएगा। उन्होंने ऋण माफी व किसानों के अन्य मुद्दों को लेकर भविष्य में भी बातचीत का सिलसिला जारी रखने का वायदा किया।

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