Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 04:25 PM
जो संतानें माता-पिता का उत्पीडऩ करती हैं, उन पर रहम नहीं किया जा सकता। ऐसी संतानों को घर से निकाल देना ही उचित है। मां-बाप की सेवा नहीं करने वाले पांच बच्चों को डीसी वरिंदर कुमार शर्मा ने एक महीने में पेरेंट्स का घर खाली करने का आदेश दिया है। ...
जालंधर: जो संतानें माता-पिता का उत्पीडऩ करती हैं, उन पर रहम नहीं किया जा सकता। ऐसी संतानों को घर से निकाल देना ही उचित है। मां-बाप की सेवा नहीं करने वाले पांच बच्चों को डीसी वरिंदर कुमार शर्मा ने एक महीने में पेरेंट्स का घर खाली करने का आदेश दिया है।
डीसी की कोर्ट ने ये फैसला सीनियर सिटीजन मेंटिनेंस एक्ट के तहत बच्चों से परेशान पेरेंट्स की तरफ दायर शिकायतों की सुनवाई के बाद सुनाया है। डीसी ने कहा-कि अगर बच्चे मां-बाप की सेवा नहीं कर सकते, उन्हें खुश नहीं रख सकते तो उन्हें मां-बाप के घर में रहने का भी कोई हक नहीं है। डीसी के पास 50 शिकायतें आई हैं। 30 पेरेंट्स ने बच्चों को दी प्रॉपर्टी वापस लेने के लिए केस किया है। सभी का कहना है कि ये सोचकर प्रॉपर्टी बच्चों को दी थी कि उनकी सेवा करेंगे लेकिन जायदाद लेने के बाद उनके तेवर बदल गए।
एसडीएम रद्द कर सकते हैं डीड और इंतकाल
बच्चों के नाम ट्रांसफर प्रॉपर्टी की ट्रांसफर डीड और इंतकाल रद्द करने की पावर एसडीएम के पास है। एसडीएम ने 30 केसों में बच्चों को पक्ष रखने के लिए कहा है। बढ़ रहे केसों को देखते हुए डीसी ने बुधवार को सीनियर सिटीजन कोर्ट लगाने की घोषणा की है। इस दिन वह सिर्फ बुजुर्गों के केस सुनेंगे।
सिर्फ हाईकोर्ट में फाइल होती है पिटीशन
सीनियर सिटीजन मेंटिनेंस एक्ट के तहत डीसी की कोर्ट के फैसले के खिलाफ कहीं अपील दायर नहीं होती। बाहर होने वाले बच्चों के पास घर वापसी के लिए हाईकोर्ट में पिटीशन दाखिल करने का अधिकार है। अब हाईकोर्ट के आदेश पर ही उन्हें घर में रहने का अधिकार मिल सकता है।
कम से कम अपना घर तो वापस मिल जाए: जोगिंदर सिंह
सराय खास के रहने वाले जोगिंदर सिंह और उनकी पत्नी बलवीर कौर ने अपने बेटे दविंदर सिंह के खिलाफ केस दायर किया है। जोगिंदर और उनकी पत्नी ने कहा है कि बच्चे उनकी बिल्कुल भी सेवा नहीं करते, बल्कि उन्हें तंग-परेशान करते हैं। उनका घर अब बच्चों के ही पास है। उन्हें बच्चों से घर खाली करवाकर दिया जाए। ताकि वह अपनी बाकी बची की जिंदगी आराम से बिता सकें।