Edited By Updated: 24 Jan, 2017 07:56 AM
असला लाइसैंस घोटाले के मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने DC दफ्तर अमृतसर में तैनात एक अन्य कर्मचारी को गिरफ्तार कर लिया है।
अमृतसर (नीरज): असला लाइसैंस घोटाले के मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने DC दफ्तर अमृतसर में तैनात एक अन्य कर्मचारी को गिरफ्तार कर लिया है। जानकारी के अनुसार कर्मचारी का नाम बलजीत सिंह बताया जा रहा है और वह मौजूदा समय में डी.सी. दफ्तर की एच.आर.सी. ब्रांच में तैनात था। पता चला है कि उसने अपनी तरनतारन में तैनाती के दौरान कुछ जाली असला लाइसैंस बनाए थे, जबकि डी.सी. दफ्तर अमृतसर में भी पूर्व डी.सी. रजत अग्रवाल ने इस घोटाले की परतें खोली थीं और लगभग 699 असला लाइसैंस रद्द किए गए थे।
इस मामले की शुरुआत राजपुरा पुलिस ने की थी, जब पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जो रहने वाला तो दिल्ली का था, लेकिन उसका असला लाइसैंस अमृतसर के पते पर बना था।इस मामले की परतें खुलनी शुरू हुईं तो पता चला कि दिल्ली, मुंबई, यू.पी. व हरियाणा के रहने वाले लोगों के असला लाइसैंस अमृतसर से बनाए गए थे।
इस मामले में जांच रिपोर्ट आने के बाद तत्कालीन डी.सी. ने दफ्तर के कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था और कुछ असला डीलर्स के खिलाफ भी पर्चा दर्ज किया गया। इतना ही नहीं, मुंबई क्राइम ब्रांच को भी अमृतसर निवासी निदान सिंह का पता चला जो अमृतसर के पतों से जाली असला लाइसैंस बनाता था और लगभग 40 अमीर लोगों के असला लाइसैंस बनाए थे। इस मामले में भी मुंबई पुलिस ने अमृतसर DC दफ्तर की असला ब्रांच के कुछ कर्मचारियों को गिरफ्तार किया और कुछ अन्य असला डीलर्स के नाम भी इसमें सामने आए थे।
असली सरकारी रजिस्टर में चढ़ाए जाते थे नकली नाम
डी.सी. दफ्तर अमृतसर की असला ब्रांच में हुए असला लाइसैंस घोटाले की बात करें तो पता चलता है कि आरोपी सरकारी कर्मचारियों ने असला लाइसैंस बनाने के लिए सरकारी रजिस्टर तो लगा रखा था, लेकिन उसमें नकली लोगों के नाम चढ़ाए जा रहे थे। ऐसे लोगों के नाम चढ़ाए गए थे, जो दूसरे राज्यों के रहने वाले थे और उनका अमृतसर से कोई लेना-देना नहीं था। यदि असला ब्रांच के सरकारी रजिस्टर की जांच करे तोजाली पते वाले व्यक्ति का नाम लिखा देख समझेगा कि लाइसैंस असली है।
ऑनलाइन हो चुुकी हैं असला लाइसैंस की सेवाएं
बार-बार असला ब्रांच में जाली लाइसैंस के मामले सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने असला लाइसैंस बनाने वाली 17 सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया, ताकि जाली असला लाइसैंस दोबारा न बन सके। हालांकि इस सेवा को प्रशासन पूरी ईमानदारी से लागू नहीं कर सका क्योंकि सत्ताधारी पार्टी अपने चहेतों के असला लाइसैंस बनाने के लिए प्रशासनिकअधिकारियों पर दबाव बनाती है।
एच.आर.सी. के ट्रांजिट रिमांड पर होती रही गर्मागर्म बहस
हथियारों के बोगस लाइसैंस बनाए जाने के मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने आज सुबह स्थानीय डी.सी. आफिस की एच.आर.सी. शाखा में तैनात एच.आर.सी. बलजीत सिंह को गिरफ्तार कर जब उसके खिलाफ ट्रांजिट रिमांड लेने के लिए स्थानीय सी.जे.एम. युक्ति गोयल की अदालत पहुंची तो वहां अभियोजन पक्ष व बचाव पक्ष के वकीलों के बीच गर्मागर्म कानूनी बहस होती रही।
अभियोजन पक्ष द्वारा अदालत से कथित आरोपी के खिलाफ ट्रांजिट रिमांड मांगा जा रहा था, वहीं बचाव पक्ष के वकील द्वारा कथित आरोपी की टांजिट बेल दिए जाने का अनुरोध किया जा रहा था। आखिर अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात गिरफ्तार एच.आर.सी. के खिलाफ ट्रांजिट रिमांड जारी कर महाराष्ट्र की पुलिस को आदेश जारी किए हैं कि वह कथित आरोपी को थाने की
अदालत में 27 जनवरी को बाद दोपहर 4 बजे तक पेश करे।
14 हुए हैं गिरफ्तार, अभी 26 हैं बाकी : इंस्पैक्टर शैट्टी
स्थानीय डी.सी. ऑफिस की शाखा एच.आर.सी. के क्लर्क बलजीत सिंह को गिरफ्तार करने महाराष्ट्र पुलिस के इंस्पैक्टर एस.आर. शिवड शैट्टी के नेतृत्व में 5
सदस्यों की टीम यहां पहुंची थी। इंस्पैक्टर से की गई बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि इस मामले में सबसे पहले पंजाब के ही रहने वाले निधान सिंह को
गिरफ्तार किया गया था, जिससे की गई पूछताछ के दौरान कई आरोपियों के नाम सामने आए हैं। अभी तक इस मामले में 14 कथित आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और करीब 25-26 और आरोपियों की गिरफ्तार किया जा सकता है।
उस समय तो मैं दर्जा चतुर्थ कर्मचारी था : एच.आर.सी. बलजीत
गिरफ्तार एच.आर.सी. बलजीत सिंह का पक्ष जानने के लिए उससे बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि विवादित हथियारों के जो भी लाइसैंस बनाने की बात कही जा रही है, उनसे उसका कोई संबंध ही नहीं है, क्योंकि वह 1998 में दर्जा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर भर्ती हुआ था और जब विवादित लाइसैंस जारी किए गए थे, उस समय भी वह चतुर्थ श्रेणी कर्मी ही था, जबकि लाइसैंस जारी करने वाले कोई और नहीं, बल्कि संबंधित क्लर्क ही थे, जिन्हें पुलिस ने अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है। 2006 में तरनतारन जिला बन गया था और 2011 में वह क्लर्क के तौर पर अमृतसर डी.सी. ऑफिस स्थानांतरित हो गया था, लेकिन कितने हैरत की बात है कि जो भी गिरफ्तार आरोपी किसी का नाम लेता है, पुलिस उसे गिरफ्तार कर महाराष्ट्र ले जा रही है।
उन्होंने खुद को पूरी तरह से निर्दोष बताते हुए कहा कि इस मामले में उनका कोई कसूर व दोष नहीं है, बल्कि किसी की गलत रिपोर्ट के आधार पर उसे पुलिस गिरफ्तार कर रही है।