ग्राऊंड वाटर लैवल घटने से पंजाब के 110 डार्क जोन घोषित

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Dec, 2017 04:47 PM

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पंजाब में तेजी से घट रहे ग्राऊंड वाटर लैवल के चलते राज्य के 137 में से 110 जोन डार्क जोन घोषित होना 5 दरियाओं की धरती पंजाब के लिए एक बड़े खतरे की घंटी है। पंजाब कृषि प्रधान राज्य है और यहां होने वाली धान की बिजाई तेजी से गिरते भूजल स्तर का मुख्य...

लुधियाना(बहल): पंजाब में तेजी से घट रहे ग्राऊंड वाटर लैवल के चलते राज्य के 137 में से 110 जोन डार्क जोन घोषित होना 5 दरियाओं की धरती पंजाब के लिए एक बड़े खतरे की घंटी है। पंजाब कृषि प्रधान राज्य है और यहां होने वाली धान की बिजाई तेजी से गिरते भूजल स्तर का मुख्य कारण है। इसके अलावा पंजाब में तेजी से बदलते मॉडर्न लाइफ स्टाइल में पानी की बेतहाशा खपत ने इस जल संकट को अधिक गहरा दिया है।समय के साथ पंजाब में आई औद्योगिक क्रांति के कारण पानी की खपत में हुई वृद्धि से अब यह आलम है कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक 135 लीटर प्रति व्यक्ति पानी की खपत का आंकड़ा 270 लीटर प्रति व्यक्ति को पार करने से सैंट्रल ग्राऊंड वाटर अथॉरिटी ने लुधियाना समेत पंजाब के कई क्षेत्रों को 150 मीटर तक एक्यूफर एरिया घोषित कर दिया है। पंजाब में तेजी से गिरते पानी के स्तर ने पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की पर्यावरण संबंधी ङ्क्षचताएं बढ़ा दी हैं, जिसके चलते पी.पी.सी.बी. ने पानी की सबसे ज्यादा खपत करने वाली डाइंग इंडस्ट्री को ट्रीटिड और अनट्रीटिड वाटर डिस्चार्ज में रोजाना 50 एम.एल.डी. यानी 500 लाख लीटर डिस्चार्ज घटाने की हिदायतों के साथ ऑडिट अभियान शुरू कर दिया है। पी.पी.सी.बी. के एक्सियन आर.के. रतड़ा का कहना है कि औद्योगिक शहर लुधियाना को करीब 350 डाइंग मिलों द्वारा रोजाना करीब 1500 लाख लीटर पानी की खपत में 33 प्रतिशत कटौती करने बारे उद्यमियों से अपील की गई है। इसके लिए उन्हें सैमीनार के जरिए पानी बचाने के विभिन्न तरीकों के अलावा टैक्नोलॉजी अपग्रेडेशन संबंधी सुझाव दिए गए हैं। 


कहीं पंजाब में न दोहराया जाए वर्ष 2007 में त्रिपुरा की भांति इकोनॉमिक संकट 
त्रिपुरा में वर्ष 2007 में आए भूजल संकट के कारण वहां की डाइंग इंडस्ट्री को बंद करना पड़ा था और इसी तर्ज पर कई अन्य शहरों में भी इसी प्रकार का संकट आने पर 10 हजार लीटर पानी का टैंकर 12,000 रुपए प्रति टैंकर की दर पर बिका था। अब कल्पना करें कि अगर कहीं ऐसी ही स्थिति पंजाब में हो गई तो सफेद कोरे कपड़ों में रंग भरने वाली डाइंग इंडस्ट्री पर संकट आने की सूरत में फैशन के शौकीन पंजाबियों का विलासतापूर्ण जीवन भी बेरंग हो सकता है। पंजाब डायर्स संघ के महासचिव बॉबी जिंदल का कहना है कि लुधियाना की डाइंग मिलों द्वारा पॉल्यूशन बोर्ड की हिदायतों पर अमल करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे लेकिन 350 डाइंग मिलों के लिए प्रति यूनिट 60 से 70 लाख मूल्य की नई टैक्नोलॉजी की महंगी मशीनरी बदलना तो संभव नहीं है, जबकि महानगर में डाइंग यूनिटों के लिए 105 एम.एल.डी. क्षमता के निर्माणाधीन & सी.ई.टी.पी. को सरकार के सहयोग से शीघ्र चालू होने से पानी में कटौती की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी। 


ग्राऊंड वाटर लैवल में सुधार के लिए पी.पी.सी.बी. ने बनाया एजैंडा  
पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू ने कहा कि पंजाब में पानी की सबसे ’यादा खपत करने वाली 5000 औद्योगिक इकाइयों को चिन्हित किया गया है। इनमें कपड़ों की रंगाई करने वाली डाइंग मिलें, इलैक्ट्रोप्लेटिंग यूनिट समेत अन्य इकाइयां शामिल हैं। पहले बोर्ड की तरफ से एनर्जी ऑडिट पर फोकस किया गया था और अब वाटर ऑडिट हमारा मुख्य एजैंडा है। डाइंग यूनिटों द्वारा 50 एम.एल.डी. पानी की कटौती करने से बुड्ढा नाला में प्रदूषण स्तर घटेगा और इसके अलावा कारोबारियों को पानी की खपत घटाने के तरीकों बारे विभाग के अधिकारियों ने जानकारी प्रदान की है। पंजाब में वर्ष 2007-08 में इटली से खेतों की लैवङ्क्षलग हेतु लेजर टैक्नोलॉजी से लैस मशीनरी इम्पोर्ट की गई थी और अब पंजाब में करीब 5000 ऐसी मशीनों द्वारा लेजर तकनीक से खेतों को समतल करने से पानी की खपत घटी है। चेयरमैन काहन सिंह पन्नू ने कहा कि पॉल्यूशन बोर्ड ने सरकार को धान की बिजाई 15 जून की बजाय 20 जून से शुरू करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा फसलों के चक्र में बदलाव हेतु धान की बजाय बेहद कम पानी से होने वाली मक्की की बिजाई करवाने के सुझाव दिए हैं। पंजाब में ग्राऊंड वाटर लैवल बढ़ाने के लिए भविष्य में प्रत्येक नई बिल्डिंग का नक्शा पास करते समय यूरिनल पॉट लगाना अनिवार्य किया जाएगा, क्योंकि इसमें जहां 50 ग्राम पानी लगता है, वहीं इंगलिश फ्लैश में 14 लीटर पानी बर्बाद होता है। 

विभाग द्वारा वाटर ऑडिट के जरिए रिवाइज कंसैंट शुरू 
पी.पी.सी.बी. के एक्सियन आर.के. रतड़ा ने कहा कि पॉल्यूशन रोकथाम विभाग के अधिकारियों ने डाइंग यूनिटों की पुरानी मशीनरी में इजाफा होने के बाद पानी की खपत का आंकलन करने के लिए वाटर ऑडिट अभियान तेज कर दिया है। विभाग की ओर से रैगुलर चैकिंग के साथ रिवाइ’ड कंसैंट जारी की जा रही है।  

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