पी.यू. की साइबर क्राइम लैब यूजलैस

Edited By Updated: 18 Jan, 2017 01:29 PM

cyber crime lab

पंजाबी यूनिवर्सिटी के फोरैंसिक साइंस डिपार्टमैंट की 5 लाख से तैयार की गई साइबर क्राइम लैब किसी यूज में नहीं आ रही। न ही डिपार्टमैंट इस प्रोजैक्ट के लिए पंजाब पुलिस के  साथ कोई कोलैबोरेशन कर सका।

पटियाला(प्रतिभा) : पंजाबी यूनिवर्सिटी के फोरैंसिक साइंस डिपार्टमैंट की 5 लाख से तैयार की गई साइबर क्राइम लैब किसी यूज में नहीं आ रही। न ही डिपार्टमैंट इस प्रोजैक्ट के लिए पंजाब पुलिस के  साथ कोई कोलैबोरेशन कर सका। लैब को स्थापित करने का मकसद ही स्टूडैंट्स को साइबर क्राइम के बारे में जानकारी देना था। लैब को लेकर जो खास प्रोजैक्ट पुलिस के साथ बना था, वो भी फ्लॉप होता दिख रहा है।जानकारी के मुताबिक लैब में डिवाइस और डिस्क सॉफ्टवेयर जो खरीदकर एस्टैबलिश किए गए थे, डिपार्टमैंट अथारिटी उनकी भी अच्छे से संभाल नहीं कर पाई है। ऐसे में साइबर क्राइम लैब न तो ठीक से वर्किंग में है और न ही इसे लेकर कोई अच्छा प्रोजैक्ट बनाया जा रहा है।

पुलिस के साथ कोलैबोरेशन से होना था इस लैब में काम

गौरतलब है कि 2010 में इस लैब का उद्घाटन उस समय के डी.जी.पी. एम.एस. गिल ने किया था क्योंकि इस लैब को स्टूडैंट्स और पुलिस प्रशासन के लिए बनाया गया था। लैब में साइबर क्राइम के केस निपटाने के लिए डिस्क और डिवाइस सॉफ्टवेयर भी लगाए गए थे। इससे पुलिस प्रशासन के पास साइबर क्राइम से जुड़े जो भी केस आते, उन्हें लैब माहिरों ने सुलझाना था। इसमें मोबाइल और डिवाइस से डिलीट किए गए डाटा को दोबारा वापस लाना, डिवाइस के पानी में गिरने के बाद जो खराबी आ जाए, उस रिकार्ड को लेकर आना, डिस्क या मोबाइल में आग लग जाने की वजह से डैमेज हुए रिकार्ड की दोबारा रिकवरी करना आदि पहलू शामिल हैं। 

अगर कोई अपराधी किसी भी तरह से डिस्क या डिवाइस से डाटा-रिकार्ड मिटा देता है तो फोरैंसिक लैब वाले इसे रिकवर कर सकते हैं। इसे लेकर उसी दौरान एक प्रोजैक्ट भी तैयार किया गया था। तब पुलिस अथारिटी ने इस प्रोजैक्ट पर हामी भरी थी। पर उस समय के बाद अब तक कोई भी केस पुलिस ने फोरैंसिक साइंस डिपार्टमैंट को नहीं दिया है।

अब तक बन चुके हैं 4 हैड
साइबर क्राइम लैब स्थापित करने की योजना उस समय के डिपार्टमैंट हैड डा. मुकेश ठक्कर की थी। उन्होंने इस प्रोजैक्ट पर काफी काम किया और पुलिस के साथ मिलकर काम करने का प्रोजैक्ट भी उन्हीं का था। पर उनकी हैडशिप के बाद डा. आर.के. गर्ग, डा. ओ.पी. जसूजा और मौजूदा हैड कोमल सैनी हैं। इन सभी के डिपार्टमैंट हैड का पद संभालने के बावजूद साइबर लैब के  विकास को लेकर कोई गंभीर कदम नहीं उठाए गए हैं।

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