Edited By Updated: 07 Dec, 2016 01:06 PM
8 नवम्बर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी के लिए फैसले पर भारत में कई तरह की प्रतिक्रिया देखने व सुनने में सामने आई थी पर जैसे-जैसे दिन गुजरते गए, वैसे-वैसे यह नोटबंदी भारतवासियों के गले की फांस बन रही है।
बरनाला(विवेक सिंधवानी, गोयल): 8 नवम्बर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी के लिए फैसले पर भारत में कई तरह की प्रतिक्रिया देखने व सुनने में सामने आई थी पर जैसे-जैसे दिन गुजरते गए, वैसे-वैसे यह नोटबंदी भारतवासियों के गले की फांस बन रही है। मंदी के दौर में नोटबंदी ने शहरों व गांवों की रौनक खत्म करके लोगों को बैंकों के आगे लाइनों में लगने के लिए मजबूर कर दिया है। कई जगहों पर बैंक कर्मचारी भी ग्राहकों से बदसलूकी व मनमर्जी कर रहे हैं।
फैसले में हर रोज नई तबदीली करके लोगों को परेशान किया जा रहा है। पहले बैंकों से एक दिन में 6 से 10 हजार रुपए निकलवाने की लिमिट रखी गई थी, जिसको बाद में बदलकर 24 हजार रुपए प्रति सप्ताह कर दिया गया। बैंक अधिकारियों द्वारा यह भेदभाव आम देखने को मिल रहा है कि किसी ग्राहक को 2000 रुपए व किसी ग्राहक को 24 हजार रुपए दिए जाते हैं न तो 2000 रुपए लेने वाले व न ही 24 हजार रुपए लेने वाले का इन रुपए से कुछ बनता है, क्योंकि शादी व रोपाई का सीजन जोरों पर है। शहर के ज्यादातर ए.टी.एम्ज में कैश ही नहीं है, बैंक आफ बड़ौदा ने अपने बैंक के बाहर लगे ए.टी.एम. के आगे विगत कई दिनों से आऊट आफ कैश का बोर्ड लटका रखा है। एस.डी. कालेज नजदीक कई ए.टी.एम. खाली पड़े हैं जिससे लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।