Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Sep, 2017 08:31 AM
एक साल से पैंडिंग पड़े 7 पार्किंग साइटों के मामले पर एफ. एंड सी.सी. में फैसला होने के बाद पनपा विवाद कोर्ट पहुंच गया है। जहां से नगर निगम को एक हफ्ते के भीतर स्पीकिंग ऑर्डर जारी करने के लिए कहा गया है।
लुधियाना (हितेश): एक साल से पैंडिंग पड़े 7 पार्किंग साइटों के मामले पर एफ. एंड सी.सी. में फैसला होने के बाद पनपा विवाद कोर्ट पहुंच गया है। जहां से नगर निगम को एक हफ्ते के भीतर स्पीकिंग ऑर्डर जारी करने के लिए कहा गया है। ट्रैफिक समस्या के समाधान के नाम पर पुलिस की सिफारिश पर निगम ने 7 नई साइटों पर पेड पार्किंग सिस्टम लागू करने का फैसला पिछले साल सितम्बर में लिया था। इसके लिए ई-टैंडरिंग का आयोजन किया गया।
पहले लॉगइन करवाने वाली 10 में से 6 कम्पनियों ने ही बोली में हिस्सा लिया। फिर भी रिजर्व प्राइस 44 लाख के मुकाबले 4.27 करोड़ की बोली आ गई। लेकिन एक कम्पनी सोनू इंटरप्राइजिज द्वारा सिस्टम में खराबी का हवाला देते हुए दोबारा बोली करवाने की मांग की। जिसके मुताबिक भदौड़ हाऊस साइट की बोली जंप करके 2.25 करोड़ पर पहुंच गई। यही मुद्दा अब्बास राजा ने गिल चौक पार्किंग की बोली सीधा 40 लाख पड़ गई।
इन आरोपों पर साफ्टवेयर कम्पनी ने भी मोहर लगाते हुए दोबारा बोली करवाने की सिफारिश कर दी। इस संबंधी पेश हुए प्रस्ताव पर कोई फैसला लेने की जगह एफ. एंड सी.सी. ने कमिश्नर को रिपोर्ट देने के लिए कहा। जो फाइल काफी देर तक लटकी रही और फिर पुरानी रिपोर्ट के आधार पर ही टैंडर रद्द करने के लिए दोबारा एफ. एंड सी.सी. के पास पहुंच गई। जहां बाकी 5 पार्किंग साइटों से संबंधित पार्टियों ने पैसे जमा करवाकर कब्जा लेने की सहमति दे दी और इस मुद्दे पर कोर्ट केस भी कर दिया।
इस मामले पर 24 अगस्त को हुई चर्चा के दौरान एफ. एंड सी.सी. ने फैसला किया कि सारी पार्टियों को पार्किंग साइटों का कब्जा लेने के लिए बुलाया जाए। जो तैयार हो, उसे वर्क ऑर्डर जारी किया जाए। जबकि बाद में सहमति बनी कि पार्किंग टैंडर स्वीकार करने से इंकार करने वाली कम्पनियों की सिक्योरिटी जब्त करने की कार्रवाई की जगह एतराज जताने का हवाला देते हुए उन साइटों के दोबारा टैंडर लगाए जाएंगे।
इस फैसले के खिलाफ सोनू इंटरप्राइजिज ने कोर्ट की शरण लेते हुए मांग की है कि जब सॉफ्टवेयर में खराबी थी तो सारी पार्किंग साइटों के टैंडर रद्द करके दोबारा लगाए जाएं। इस पर कोर्ट ने याचिकाकत्र्ता को 2 दिन के भीतर निगम के पास लिखित में अपना पक्ष रखने को कहा है, जिस पर 5 दिन के भीतर फैसला लेते हुए निगम को बकायदा स्पीकिंग ऑर्डर जारी करने होंगे।
निगम अफसरों पर गिर सकती है टैंडर रद्द करने की गाज
अब अगर सोनू एंटरप्राइजिज की याचिका के मुताबिक आने वाले आवेदन पर निगम ने पार्किंग साइटोंके पुराने टैंडर रद्द करवाने का फैसला किया तो उसकी गाज निगम अफसरों पर गिर सकती है क्योंकि दूसरी पार्टियों ने भी लोकल कोर्ट के अलावा सरकार के पास शिकायत की हुई है कि एक साल तक पार्किंग साइटों के वर्क आर्डर जारी न करने कारण करोड़ों के राजस्व का नुक्सान हुआ है। इसके आरोप में जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की जाए। अगर अब टैंडर रद्द होते हैं तो नया मुद्दा उठेगा कि अफसरों ने पहले यह फैसला क्यों नहीं लिया।