Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Nov, 2017 08:57 AM
किसानों को कपास की फसल का सही मूल्य न मिलने के चलते व दूसरी तरफ नकली कीटनाशक दवाइयां मिलने से किसान कपास फसल बीजना नहीं चाहते, जिसके चलते लहरागागा में 4 कॉटन मिलों में से 2 बंद हो चुकी हैं और 2 बंद होने की कगार पर हैं। दूसरी ओर कपास बीजने वाले किसान...
लहरागागा(जिन्दल, गर्ग): किसानों को कपास की फसल का सही मूल्य न मिलने के चलते व दूसरी तरफ नकली कीटनाशक दवाइयां मिलने से किसान कपास फसल बीजना नहीं चाहते, जिसके चलते लहरागागा में 4 कॉटन मिलों में से 2 बंद हो चुकी हैं और 2 बंद होने की कगार पर हैं। दूसरी ओर कपास बीजने वाले किसान अन्य फसलों को पहल देने लगे हैं यदि ऐसा ही हाल रहा तो पंजाब मे कॉटन मिलों में उनकी स्पिनिंग गुजरे समय की बात बनकर रह जाएगी।
एक कॉटन फैक्टरी के मालिक विजय कुमार ने बताया कि समय-समय की सरकारों ने हमेशा छोटी इंडस्ट्री को लाभ पहुंचाने की बजाय मैगा प्रोजैक्टों को पहल दी और छोटी फैक्टरियों केलिए मार्कीट फीस लागू की गई है जिसके चलते फैक्टरी संचालकों को घाटा पड़ रहा है। कपास बीजने वाले किसानों ने बताया कि मौजूदा समय में उनको फसल का 4600 रुपए किं्व टल के करीब रेट जरूर मिल रहा है परंतु फसल पर हुए खर्चे के मुताबिक बहुत कम है। यदि इस बार भी उनको फसल का उचित मूल्य न मिला तो वे कपास बीजना बंद कर देंगे। कपास खरीदने वाले आढ़ती नराता राम व संजीव सिंगला ने कहा कि किसानों को फसल के लिए मूल्य बहुत ही कम मिल रहा है। इंद्रजीत सिंह खेतीबाड़ी अधिकारी ने भी माना कि इस बार भी सफेद मक्खी का असर कपास की फसलों पर जरूर पड़ा है लेकिन फिर भी झाड़ जरूर बढ़ा हुआ है।