Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Nov, 2017 11:38 AM
तय शैड्यूल से पहले ही 2 महीने लेट चल रहे नगर निगमों के आम चुनावों के लिए लुधियाना को छोड़ बाकी शहरों में दिसम्बर के दौरान मतदान करवाने बारे जो फैसला लिया जा रहा है, उसके लिए भले ही वार्डबंदी की प्रक्रिया मुकम्मल न होने की अटकलें चल रही हैं और...
लुधियाना(हितेश): तय शैड्यूल से पहले ही 2 महीने लेट चल रहे नगर निगमों के आम चुनावों के लिए लुधियाना को छोड़ बाकी शहरों में दिसम्बर के दौरान मतदान करवाने बारे जो फैसला लिया जा रहा है, उसके लिए भले ही वार्डबंदी की प्रक्रिया मुकम्मल न होने की अटकलें चल रही हैं और कांग्रेसी विधायकों द्वारा विकास कार्य न होने का नुक्सान पहुंचने का हवाला दिया गया है। जबकि असलियत में विधायकों को पार्षदों के अभाव में अपने हाथ आया नगर निगम का कंट्रोल कम होने का डर सता रहा है।
जब मार्च में 10 साल बाद कांग्रेस की सता पर वापसी हुई तो यह चर्चा चली कि माहौल को भुनाने के लिए समय से पहले नगर निगम चुनाव करवाए जा सकते हैं। लेकिन हुआ इसके उल्ट और सितम्बर में जनरल हाऊस की अवधि खत्म होने के बावजूद चुनाव लेट करवाने का ऐलान कर दिया गया। जिसकी वजह यह बताई गई कि अधर में लटके विकास कार्यों के कारण जनता में पनपी नाराजगी का चुनावों में नुक्सान हो सकता है। हालांकि चुनावों से पहले विकास कार्य शुरू करवाने बारे बनाई योजना के तहत फंड अब तक रिलीज नहीं हो पाए हैं, सरकार ने गुरदासपुर की जीत का फायदा लेने के लिए दिसम्बर में चुनाव करवाने का फैसला ले लिया।
इस प्रक्रिया में जालंधर, अमृतसर व पटियाला के लिए नए सिरे से वार्डबंदी लगभग फाइनल की जा चुकी है। लेकिन लुधियाना का मामला अब तक लटका हुआ है। जिसकी वजह यह है कि पहले तो नए बनने वाले वार्डों की बाऊंड्री तय करने को लेकर पहले कांग्रेसियों व लोकल बॉडीज विभाग के अफसरों के पेंच फंसा रहा और फिर वार्डों को एस.सी. बनाने के मुद्दे पर कांग्रेसी आपस में ही उलझ गए। यह विवाद हल हुआ कि अंतिम चरण में पहुंचने के बावजूद बैंस ब्रदर्ज के एतराजों के चलते वार्डबंदी की प्रक्रिया लटक गई। जिसके आधार पर नियमों के मुताबिक सुधार करने के लिए सरकार द्वारा वार्डबंदी का सारा ड्राफ्ट निगम को लौटाया जा चुका है।
इस चक्कर में निगम चुनाव करवाने का शैड्यूल होने के मुद्दे पर चर्चा के लिए सी.एम. ने गत दिवस लुधियाना के कांग्रेस विधायकों की मीटिंग बुलाई। इसमें अफसरों ने बताया कि आबादी के आधार पर वार्डों की बनावट में नियमों का पालन न होने के आरोप में कोर्ट केस लगने पर चुनाव वैसे ही लेट हो सकते हैं। जबकि कुछ विधायकों ने विकास कार्य पूरे न होने के कारण नुक्सान होने का हवाला देते हुए चुनाव लेट करवाने की सिफारिश कर दी। जिस पर लुधियाना को छोड़ बाकी शहरों के चुनाव करवाने का फैसला किया गया है। जबकि इसकी असलियत वजह यह है कि विधायकों को पार्षदों के अभाव में अपने हाथ में आया निगम का कंट्रोल चुनावों के बाद कम होने का डर सता रहा है।