निकाय चुनाव की दहलीज पर खड़ी कांग्रेस की सुस्त गतिविधि से वर्कर हताश

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Nov, 2017 11:19 AM

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एक दशक बाद वापस सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी शीघ्र होने जा रहे निगम चुनावों की दहलीज पर खड़ी है परंतु जिला कांग्रेस की गतिविधियों में छाई सुस्ती टिकटों के चाहवान वर्करों में हताशा की वजह बनती जा रही है। पार्टी प्रधान से सम्पर्क साधने की बजाय चुनाव...

लुधियाना (पंकज/रिंकू): एक दशक बाद वापस सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी शीघ्र होने जा रहे निगम चुनावों की दहलीज पर खड़ी है परंतु जिला कांग्रेस की गतिविधियों में छाई सुस्ती टिकटों के चाहवान वर्करों में हताशा की वजह बनती जा रही है। पार्टी प्रधान से सम्पर्क साधने की बजाय चुनाव लडऩे के इच्छुक वर्कर अपने-अपने हलके के विधायकों की चौकियां भरने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि वर्करों के दिमाग में यह बात घर कर चुकी है कि टिकट हलका विधायक के आशीर्वाद से ही मिलेगी, न कि जिला प्रशासन की सिफारिश पर, जैसा कि पहले होता था। 

मौजूदा समय में निगम की हद में पड़ते 7 विधानसभा हलकों में से 5 पर कांग्रेस पार्टी के विधायक काबिज हैं, जबकि 2 विधानसभा क्षेत्र लोक इंसाफ पार्टी के बैंस ब्रदर्ज के पास है, जिन्होंने सभी वार्डों में अपने उम्मीदवार चुनावी दंगल में उतारने के लिए शुरू से ही सम्पर्क अभियान छेड़ा हुआ है। वहीं आम आदमी पार्टी के जिला प्रधान, जोकि लोक इंसाफ पार्टी के ही सरगर्म सदस्य रहे हैं और दोनों पाॢटयां विधानसभा चुनाव साथ रहकर लड़ चुकी हैं। ऐसे में निगम चुनावों में उनकी स्टेटजी क्या रहेगी, यह अभी तक रहस्य बना हुआ है। लंबे समय तक सत्ता विमुख रह चुकी कांग्रेस पार्टी के इस बार सत्ता में होने के कारण वर्करों में निगम चुनावों में टिकट लेने की होड़ मची हुई है परंतु विधानसभा चुनावों के बाद यह देखा जाए तो जिला कांगे्रस पार्टी की बजाय विधायक आम जनता में ज्यादा सरगर्म हैं, जबकि पार्टी की गतिविधियां न के बराबर हैं, जोकि टिकटों के चाहवानों के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं। 

विधानसभा हलका उत्तरी में राकेश पांडे, सैंट्रल में सुरिंद्र डाबर, पूर्वी में संजय तलवाड़, पश्चिम में भारत भूषण आशु व दाखा में कुलदीप सिंह वैद के विजयी होने के कारण निगम चुनावों में पार्टी टिकट के लिए उनकी सिफारिश निश्चित तौर पर असरदार साबित होगी, जबकि सांसद रवनीत सिंह बिट्टू भी सभी टिकटों के वितरण में अहम रोल अदा करेंगे। यही वजह है कि टिकटों के चाहवान जिला प्रधान की बजाय हलका विधायकों को प्रभावित करने में जी-जान एक किए हुए हैं। विधानसभा आत्म पार्क व दक्षिणी बेशक बैंस ब्रदर्ज के पास है परंतु यहां से चुनाव हारने वाले कंवलजीत सिंह कड़वल व भूपिंद्र सिंह सिद्धू टिकट वितरण में कितनी दखलअंदाजी करने की स्थिति में हैं, इसको लेकर संशय बरकरार है। इसी कारण इन विधानसभा क्षेत्रों के अधीन आते वार्डों में पार्टी टिकटों के इच्छुक वर्कर संशय में हैं और सांसद व उसके साथी विधायक का दामन थामे हुए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि टिकट वितरण में विधायक की सिफारिश खासा प्रभाव रखती है परंतु कांग्रेस पार्टी के कल्चर पर अगर निगाह दौड़ाई जाए तो यह स्पष्ट है कि जिला प्रधान द्वारा भेजी लिस्ट को ज्यादा महत्व दिया जाता रहा है परंतु इस बार हालात बिल्कुल बदले-बदले नजर आते हैं और कांग्रेस विधायक या मंत्री से भी ज्यादा प्रभावशाली समझे जाते जिला प्रधान की बजाय विधायक ताकतवर नजर आते हैं। 

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