जनता की कचहरी में कांग्रेस की होने लगी किरकिरी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jul, 2017 07:45 AM

the development work of the people is not in the power of the congress

अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल दौरान मुख्यमंत्री से भी ज्यादा शक्तियां रखने वाले उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के इशारे पर जालंधर नगर निगम में मैकेनिकल स्वीपिंग के रूप में अत्यंत महंगा प्रोजैक्ट चालू किया गया था, जिसे लेकर शहर की राजनीति में कई...

जालंधर (रविंदर शर्मा): सिर्फ चार माह के छोटे से अंतराल में ही कांग्रेस की जनता की कचहरी में किरकिरी होने लगी है। जिस तरह से न भविष्य की कोई योजना बन रही है और न ही विकास के काम हो रहे हैं, उससे जनता के हाथ एक बड़ी निराशा लगी है। कांग्रेस सरकार की गलत नीतियां सिर्फ 4 माह के भीतर ही शहर में मृत पड़ी भाजपा के लिए जैसे संजीवनी बूटी सिद्ध हो रही हैं। रुके विकास कामों का ठीकरा अब भाजपा के मेयर कांग्रेस पर फोडऩे लगे हैं और जनता की कचहरी में भाजपा को बढ़त मिलती नजर आ रही है।

अभी बीते 4 महीने की ही बात है कि जालंधर शहर में अकाली-भाजपा की गलत नीतियों से जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी। न तो विकास के काम हो रहे थे और न ही सरकार में जनता की कोई सुनवाई हो रही थी। हर तरफ ऐसे लग रहा था जैसे भ्रष्टाचार का बोलबाला हो। जनता ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस उम्मीद से सिर आंखों पर बिठाया कि अब उनके दिन अच्छे आएंगे। शहर की चारों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को भारी बढ़त मिली। ऐसा लगने लगा कि 20 हजार से लेकर 30 हजार वोटों तक की बड़ी हार के बाद भाजपा लंबे समय तक शहर में उठ नहीं सकती। मगर सिर्फ 4 महीने के भीतर ही कांग्रेस की नीतियों ने भाजपा को दोबारा पैरों पर खड़ा कर दिया है। लोग अब भाजपा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को भूलने लगे हैं।

हमेशा बैकफुट पर रहने वाले भाजपा के मेयर सुनील ज्योति अचानक मुखर हो गए हैं। वह कहते हैं कि कांग्रेस ने शहर के सारे विकास कार्य रुकवा दिए हैं और इसी बात को वह अब जनता के बीच ले जाकर कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने में कामयाब हो रहे हैं। कांग्रेस के लिए शहर में सबसे बुरी बात यह हुई कि चल रहे विकास कामों को भी रुकवा दिया गया है। इतना ही नहीं वह नगर निगम चुनावों से भाग रही है। रुके हुए विकास काम व निगम चुनावों में देरी अब कांग्रेस के लिए घातक बनने जा रहे हैं। कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि प्रदेश भर में पार्टी की लहर चल रही थी और ऐसे में जल्द ही नगर निगम चुनाव करवा लिए जाते तो आज प्रदेश के सभी निगमों पर भी कांग्रेस का कब्जा होता।

मगर न जाने कैप्टन सरकार किन नीतियों व किसकी सलाह पर चल रही है। अभी तक कैप्टन सरकार का एक भी फैसला पार्टी के नेताओं को लुभा नहीं पाया है। कैप्टन सरकार की लगातार फ्लाप हो रही नीतियों से पार्टी के पार्षद भी बेहद निराश दिखाई दे रहे हैं। जिन पार्षदों को इस बार निगम में कांग्रेस का मेयर बनने की उम्मीद थी, उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रही है। हालात यह बन गए हैं कि जनता की कचहरी में भाजपा के निगम में 10 साल के कारनामे भूलने लगे हैं और कांग्रेस के 4 महीने के कारनामे भारी पडऩे लगे हैं। 

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