Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Nov, 2017 04:39 PM
पंजाब में विधानसभा चुनावों में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी अब निकाय चुनावों के लिए तैयारियों में जुट गई है। पार्टी इसके लिए सबसे पहले पंजाब में प्रभारियों के बदलाव से लेकर कुछ अन्य बदलाव करने पर मंथन कर रही है। जानकारी के अनुसार पंजाब में निकाय...
जालंधर( पाहवा) : पंजाब में विधानसभा चुनावों में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी अब निकाय चुनावों के लिए तैयारियों में जुट गई है। पार्टी इसके लिए सबसे पहले पंजाब में प्रभारियों के बदलाव से लेकर कुछ अन्य बदलाव करने पर मंथन कर रही है। जानकारी के अनुसार पंजाब में निकाय चुनावों में प्रभारियों की जिम्मेदारी केवल उन लोगों को देने की योजना है जिन्होंने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी। इसके तहत पंजाब में भाजपा की 3 सीटें ही हैं जिसके तहत सुजानपुर से दिनेश बब्बू, फगवाड़ा से सोम प्रकाश तथा अबोहर से अरूण नारंग हैं।
पंजाब में निकाय चुनावों में इन लोगों को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी तथा इनके साथ अमृतसर से राज्य सभा सदस्य श्वेत मलिक को भी तैनात करने की खबरें मिल रही हैं। उधर यह भी जानकारी मिली है कि पार्टी जालंधर निगम चुनावों के लिए कई चेहरों को बदलने पर विचार कर रही है। इनमें वे चेहरे प्रमुख रूप से शामिल हैं जो इससे पहले पार्षद तो थे लेकिन वार्ड व पार्टी की बजाए अपने घर तक ही सीमित रहे। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने कुछ ऐसे पार्षदों की जानकारी एकत्र कर रिपोर्ट तैयार करवाई है जो या तो विकास कार्यों में कमिशनखोरी करते रहे या फिर वे प्रापर्टी गुरू बन कर अवैध कालोनी या कोठियां बना कर कमाई करते रहे। ऐसे पार्षदों को लेकर भाजपा व संघ में काफी नाराजगी है। इन लोगों या इनके परिवारों में टिकट देने की बजाए पार्टी चाहती है कि नए चेहरे आगे लाए जाएं।
पार्टी का मानना है कि पिछले एक या दो टैन्योर में पार्षद पद पर रहे चुके भाजपा के कुछ पार्षद क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत नहीं रख पाए हैं, खासकर कुछ क्षेत्रों में तो पार्षदों से खुद भाजपा व संघ के लोग ही नाराज हैं। जानकारी यह भी मिली है कि भाजपा के कुछ नेता अंदरखाते अपने कुछ वर्करों को तैयारी करने के लिए कह रहे हैं जबकि अभी तक पार्टी की तरफ से कुछ भी तय नहीं है। खास बात यह है कि भाजपा युवा मोर्चा के कई वर्कर जिन्हें एक्टिव तौर पर पार्टी के किसी कार्यक्रम में नहीं देखा गया, भी सोशल मीडिया पर अपने आप को टिकट का दावेदार बता रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि अभी तक वार्डबंदी का झंझट खत्म हुआ है तथा इसके बाद कई प्रकार की समस्याएं सभी दलों को आ रही है। ऐसे में भाजपा के अंदर अभी से उम्मीदों के जो पुल बनने लगे हैं वह अगर विकसित न हो पाए तो इन अधूरे पुलों का मलबा पार्टी के लिए हानिकारक साबित होगा।