Edited By Updated: 19 Jan, 2017 01:03 AM
क्या पंजाब कांग्रेस के बागी उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में एक बा...
चंडीगढ़(पराशर): क्या पंजाब कांग्रेस के बागी उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पार्टी का बंटाधार करेंगे? इस प्रश्र को लेकर प्रदेश कांग्रेस के अंदर व बाहर काफी परेशानी छाई हुई है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सदन में बहुमत प्राप्त कर अपनी सरकार बनाने से रोकने में कांग्रेसी बागियों का मुख्य हाथ रहा है। 5 वर्ष पहले कांग्रेसी बागियों ने विधानसभा की 22 सीटों के परिणामों को बदल दिया जिसके चलते 117 सदस्यों वाले सदन में कांग्रेस को केवल 46 सीटें ही प्राप्त हो सकीं।
बगावत का आलम
इस बार कांग्रेस के लिए प्रदेश में फिर कुछ इसी प्रकार का आलम बनता दिखाई दे रहा है। कम से कम 20 विधानसभा हलकों में कांग्रेस का टिकट न मिलने पर पार्टी में बगावत हो गई है और बागियों ने अधिकृत कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ स्वतंत्र प्रत्याशियों के रूप में अपने नामांकन पत्र भर दिए हैं।
आश्वस्त नेतृत्व
वर्ष 2012 में अपनी सरकार बनने को लेकर कांग्रेस नेतृत्व इतना आश्वस्त था कि प्रदेशाध्यक्ष कै. अमरेंद्र सिंह ने बागियों को मनाने और उन्हें चुनाव से हटाने का कोई प्रयास नहीं किया। परिणामस्वरूप जहां कहीं भी कांग्रेसी बागी पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ मैदान में उतरे उन्होंने अपनी ही पार्टी को पराजित कर दिया। पठानकोट, सुजानपुर, अमृतसर (ईस्ट), मजीठा, बाबा बकाला समेत कई ऐसे हलके हैं जहां बागियों ने कांग्रेस की हार में मुख्य भूमिका निभाई।
दलबदलुओं को पहल
इस बार फिर नकोदर, जालंधर (वैस्ट), बंगा, गढ़शंकर, दसूहा, लुधियाना (नॉर्थ), फाजिल्का, सुनाम, दिड़बा, साहनेवाल, जगराओं, आत्मनगर, अमृतसर, बाबा बकाला और भोआ में बगावत के झंडे बुलंद हो गए हैं। बंगा से सिटिंग कांग्रेस विधायक त्रिलोचन सूढ की शिकायत है कि उनकी दावेदारी को नजरअंदाज कर एक दल-बदलू को टिकट दी गई है जिसे वह कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसी प्रकार फाजिल्का में पूर्व कांग्रेस विधायक मङ्क्षहद्र सिंह रिणवा, अकाली सांसद शेर सिंह घुबाया का पुत्र दविंद्र सिंह घुबाया को टिकट दिए जाने के खिलाफ मैदान में डट गए हैं। सुनाम में कांग्रेस नेता राजेंद्र दीपा भी पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ बगावत कर गए हैं। कुछ इसी प्रकार का माहौल कई अन्य हलकों में भी है।
समझाने का प्रयास
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कै. अमरेंद्र सिंह का कहना है कि वह 2012 के इतिहास को दोहराने नहीं देंगे। हम सभी नाराज नेताओं से बातचीत करेंगे और उन्हें समझाबुझा कर पार्टी की जीत के रास्ते से हट जाने को कहेंगे। उन्होंने आशा जताई कि एक सप्ताह के भीतर ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। अमरेंद्र का कहना है कि पार्टी टिकट के लिए 1600 से भी अधिक आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे। विधानसभा में कुल 117 हलके ही हैं इसलिए हर आवेदनकत्र्ता को संतुष्ट नहीं किया जा सकता लेकिन जिन्हें किन्हीं कारणों से टिकट नहीं मिल सकी उन्हें हम अपनी सरकार बनने पर कहीं न कहीं एडजस्ट करने का प्रयास करेंगे।