जिस मजीठिया को कोस-कोस सत्ता में आए, उसी मामले में बैकफुट पर कांग्रेस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Oct, 2017 10:56 AM

congress on backfoot

चुनावों से पहले राज्यभर में हॉट मुद्दा बना नशा व मजीठिया एक बार फिर से पंजाब की राजनीति में भूचाल लाने जा रहा है। जिस बिक्रमजीत मजीठिया को कोस-कोस कर कांग्रेस सत्ता में आई थी

जालंधर  (रविंदर शर्मा): चुनावों से पहले राज्यभर में हॉट मुद्दा बना नशा व मजीठिया एक बार फिर से पंजाब की राजनीति में भूचाल लाने जा रहा है। जिस बिक्रमजीत मजीठिया को कोस-कोस कर कांग्रेस सत्ता में आई थी, उसी के मामले में आजकल कांग्रेस बैकफुट पर है। न केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई से कतरा रहे हैं, बल्कि प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ भी नहीं चाहते कि मजीठिया के खिलाफ कोई कार्रवाई हो। 

 

कैप्टन व जाखड़ की जुगलबंदी पार्टी के अंदर ही विधायकों में आक्रोश पैदा कर रही है। माझा के विधायकों में तो बेहद गुस्सा पाया जा रहा है। पार्टी के 40 के करीब विधायकों ने मजीठिया मामले को लेकर हाईकमान से मिलने का मन बनाया है। अगर ऐसा होता है तो इन विधायकों के मन में मुख्यमंत्री व प्रदेश प्रधान का मान कम होगा। प्रदेश में 10 साल तक अकाली-भाजपा सरकार ने राज किया था। 

 

इस दौरान सरकार पर प्रदेश में नशे की बिक्री करवाने समेत प्रदेश के युवाओं को नशे की दलदल में धकेलने तक के आरोप लगे थे। नशे के गिरफ्तार कुछ सौदागरों ने अकाली नेता बिक्रमजीत मजीठिया का नाम भी लिया था। इसको लेकर अभी भी ई.डी. के पास एक जांच चल रही है। ई.डी. के घेरे में आने के बाद मजीठिया के खिलाफ कांग्रेस की लड़ाई बेहद आक्रमक हो गई थी। तब प्रदेश भर में कांग्रेस ने सब डिवीजनों पर मजीठिया के खिलाफ धरने दिए थे। प्रत्येक स्टेज पर मजीठिया के खिलाफ उग्र बोल बोले गए और यहां तक कहा गया कि सत्ता में आते ही मजीठिया को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। लोगों ने कांग्रेस की इसी बात पर मुहर लगाते हुए उसे सत्ता के दर्शन करवा दिए। मगर सत्ता में आते ही जिस कदर प्रदेश के मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह व प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ के बोल बदल रहे हैं, उससे न केवल जनता में बल्कि पार्टी विधायकों में भी रोष पनप रहा है। 

 

अपने जालंधर दौरे के दौरान कैप्टन ने साफ शब्दों में कह दिया कि अभी मजीठिया के खिलाफ ज्यादा सबूत नहीं हंै। ई.डी. जांच कर रही है और सबूत मिलने पर कार्रवाई जरूर की जाएगी। प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने भी कैप्टन के इस बयान पर हामी भरी और कहा कि अभी मजीठिया के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। बस इतना कहना था कि पार्टी के विधायकों में ही रोष पनप गया। खास तौर पर माझा के विधायक तो बेहद खफा हैं। इन्हीं माझा विधायकों के बल पर ही इस बार कांग्रेस सत्ता में आ सकी है। माझा के विधायकों का साफ कहना है कि अगर मजीठिया के खिलाफ सबूत नहीं थे तो पहले इतने हो हल्ला क्यों मचाया? अब इस तरह के बोल बोलकर अपने स्तर पर ही सरकार मजीठिया को क्लीन चिट देने की तैयारी कर रही है। विधायकों का कहना है कि जनता के बीच इसी बात को लेकर वह सत्ता में आए थे और भविष्य में किस मुंह से वह जनता के बीच जाएंगे? 


 

बिजली मामले को लेकर भी बुरी तरह घिरे जाखड़ 
बिजली के बढ़े दामों को लेकर अकाली-भाजपा को घेरने वाले प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ खुद ही इस मामले में घिरने लगे हैं। बतौर विपक्ष नेता रहते हुए सुनील जाखड़ ने जब महंगी बिजली का मुद्दा मीडिया में उठाया था तो साथ ही महंगी बिजली करार की बात भी कही थी। कांग्रेस ने अपने चुनावी मैनीफैस्टो में यह बात साफ की थी कि अकाली-भाजपा की ओर से किए गए महंगे बिजली करारों को रद्द किया जाएगा। मगर सत्ता में आने के सात महीने बाद भी सरकार ने कुछ नहीं किया और एक बार फिर सुनील जाखड़ ने जिस तरह अकाली-भाजपा गठबंधन पर महंगी बिजली का ठीकरा फोड़ा है, उससे कांग्रेस की ओर से चुनावों से पहले किए हर वायदे से पीछे हटने की बात सामने आने लगी है। 

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