Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jul, 2017 10:16 AM
पंजाब विधानसभा के बीते सत्र दौरान हुए हंगामे और पगडिय़ां उतारे जाने के मामले की जांच के लिए बनाई गई कमेटी का नेतृत्व कांग्रेस के विधायक सुखजिंद्र सिंह रंधावा कर रहे हैं।
चंडीगढ़ः पंजाब विधानसभा के बीते सत्र दौरान हुए हंगामे और पगडिय़ां उतारे जाने के मामले की जांच के लिए बनाई गई कमेटी का नेतृत्व कांग्रेस के विधायक सुखजिंद्र सिंह रंधावा कर रहे हैं। रंधावा ने इस मामले में गहराई से जांच शुरू कर दी है। ‘पंजाब केसरी’ के संवाददाता रमनदीप सिंह सोढी ने रंधावा के साथ बातचीत कर जांच की मौजूदा स्थिति सहित कई अन्य पहलुओं पर बात की। पेश है बातचीत का पूरा ब्यौरा-
प्र. विधानसभा की कार्रवाई के दौरान पगडिय़ां उतारे जाने की जांच की स्थिति क्या है?
उ. मैं इस मामले की हर पहलू से जांच कर रहा हूं और पूरे मामले में वीडियो के साथ तथ्य पेश करूंगा। अगर जरूरत पड़ी तो इस मामले में अकाल तख्त साहिब को भी रिपोर्ट भेजूंगा। मैं इस बात की भी जांच कर रहा हूं कि बिक्रम सिंह मजीठिया ने मीडिया को जो पगड़ी दिखाई वह उनके पास कहां से आई क्योंकि परमल सिंह खालसा की पगड़ी धक्का-मुक्की के दौरान पूरी तरह से उतर गई थी जबकि मजीठिया के हाथ में मौजूद पगड़ी पूरे आकार में थी। लिहाजा यह जांच का विषय है कि यदि खालसा की पगड़ी पूरी तरह से खराब हो गई थी तो पूरे आकार में पगड़ी मजीठिया के पास कहां से आई। उस पगड़ी का रंग भी मजीठिया के हाथ में मौजूद पगड़ी से अलग था।
प्र. जो कुछ हाऊस में हुआ क्या उसकी आप ङ्क्षनदा करते हैं?
उ. यह निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन इस सारे मामले के पीछे अकाली दल की शरारत है क्योंकि अकाली दल को पता था कि कांग्रेस इस सैशन के दौरान पिछली अकाली-भाजपा सरकार में हुए घोटालों की पोल खोलेगी और इस मामले में आम आदमी पार्टी भी अकाली दल का विरोध करेगी। लिहाजा अकाली दल ने सदन की कार्रवाई में बाधा डालने के लिए यह सारा ड्रामा रचा है। सबसे बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात यह रही कि आम आदमी पार्टी भी अकाली दल के ट्रैप में फंस गई। हालांकि बाद में उन्हें गलती का अहसास हुआ।
प्र. विरसा सिंह वल्टोहा के कांग्रेस द्वारा सदन में पगड़ी की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप पर आपका क्या कहना है?
उ. यह लोग पगड़ी की बात न ही करें तो अच्छा है। सन् 1986 को सदन में अकाली दल के सदस्यों ने तत्कालीन स्पीकर सुरजीत सिंह मिन्हास की पगड़ी उतारी थी। उस समय पगड़ी की गरिमा याद नहीं आई थी। अकाली दल जब भी सत्ता से बाहर होता है तो इसे सिख धर्म और पगड़ी की गरिमा याद आ जाती है। अकाली दल के पिछले कार्यकाल के दौरान सरकारी मुलाजिमों की पगडिय़ां उछाली गईं और औरतों को सड़कों पर बेइज्जत किया गया, उस समय वल्टोहा को पगड़ी की गरिमा याद क्यों नहीं आई।
प्र. सुखबीर का आरोप है कि मनप्रीत खुद सी.एम. बनना चाहते हैं। आप क्या कहेंगे?
उ. मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की लीडरशिप को कोई चुनौती नहीं है। सुखबीर को गप्पें हांकने की आदत है और सोशल मीडिया में सुखबीर को गप्पी के नाम से ही संबोधित किया जाता है। मनप्रीत ने पूरा बजट मुख्यमंत्री के साथ सलाह करके बनाया है और हर मामले में कैबिनेट की मुख्यमंत्री के साथ चर्चा होती है।
प्र. सुखबीर कहते हैं कि यदि वह दोषी हैं तो उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया जाता?
उ. सुखबीर की यह इच्छा जल्द पूरी करेंगे। हमारे सामने भी यह चुनौती है कि हमने पिछली सरकार के दौरान हुए घपलों की पोल खोलनी है और हम इस चुनौती पर जरूर पूरे उतरेंगे लेकिन इन्हें रातों-रात गिरफ्तार करने का फायदा नहीं है क्योंकि ऐसा किया गया तो ये लोग सहानुभूति की राजनीति करेंगे।
प्र. आपको कैबिनेट में शामिल किए जाने की चर्चा है। आप क्या कहेंगे?
उ. मेरी इच्छा मंत्री बनने की नहीं है। मेरा मानना है कि यदि विधायक अच्छा काम करे तो उसकी शोभा मंत्री से ज्यादा होती है। मेरा लक्ष्य बादल परिवार द्वारा किए गए घोटालों से पर्दा उठाना है और इस परिवार की असलियत को जनता के सामने लाना है। यह काम मैं एक विधायक के तौर पर भी कर सकता हूं।
प्र. मुख्यमंत्री माफिया के खिलाफ कार्रवाई में रुचि क्यों नहीं दिखा रहे?
उ. मुख्यमंत्री की कार्रवाई में पूरी रुचि है। पंजाब में केबल माफिया को लेकर विधानसभा में उठाया गया मुद्दा मुख्यमंत्री की सहमति से ही उठा है और उन्होंने ही नवजोत सिंह सिद्धू को इस मामले में विस्तार सहित जवाब देने के लिए कहा था। इस मामले की पूरी जांच हो रही है और पूरा सच जनता के सामने लाया जाएगा। सुखबीर बादल मुख्यमंत्री की रुचि न होने की बात इसलिए फैला रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वह कहां-कहां फंसने वाले हैं।