Edited By Updated: 28 Apr, 2017 03:16 AM
दिल्ली नगर निगम चुनावों में चाहे कांग्रेस भाजपा व आम आदमी पार्टी के बाद तीसरे स्थान पर.....
जालंधर(धवन): दिल्ली नगर निगम चुनावों में चाहे कांग्रेस भाजपा व आम आदमी पार्टी के बाद तीसरे स्थान पर आई है, परंतु कांग्रेस नेतृत्व को इस बात से अवश्य राहत मिली है कि अब ‘आप’ के अन्य राज्यों में बढ़ते कदमों पर ब्रेक लग जाएगी। आम आदमी पार्टी ने इससे पहले पंजाब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के हाथों मार खाई तथा अब दिल्ली में उसे भाजपा ने पटखनी दी। अन्यथा आम आदमी पार्टी ने गुजरात, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश व अन्य राज्यों में भी चुनाव लडऩे की योजनाएं बनाई हुई थीं। अब कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि आम आदमी पार्टी का ध्यान अब दिल्ली तक सीमित होकर रह जाएगा, जहां वह लगातार सिमटती जा रही है।
आम आदमी पार्टी अन्य राज्यों में अपने कदम बढ़ाते हुए लगातार कांग्रेस पर प्रहार कर रही थी तथा आरोप लगा रही थी कि कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि अब गुजरात या हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के समर्थक वोटों को अपनी तरफ खींच नहीं पाएगी। इसी तरह से गुजरात में सरकार विरोधी वोटों को बांटने में भी आम आदमी पार्टी के प्रयास अधिक कारगर सिद्ध नहीं होंगे, इसलिए इन राज्यों में अब कांग्रेस तथा भाजपा के मध्य ही सीधी चुनावी टक्कर होगी। आम आदमी पार्टी पंजाब, गोवा व दिल्ली में बुरी तरह से मात खा गई है।
हिमाचल तथा गुजरात में इसी वर्ष के अंत में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं, जबकि मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ तथा कर्नाटक में अगले वर्ष में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। अब इन राज्यों में आम आदमी पार्टी का ज्यादा असर देखने को नहीं मिलेगा। कांग्रेस को चाहे दिल्ली में सफलता नहीं मिली परंतु वह अपने वोट बैंक को 20 प्रतिशत बढ़ाने में सफल अवश्य हुई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मात्र 9 प्रतिशत वोट मिले थे परंतु अब दिल्ली नगर निगम चुनावों में उसे 25 से 27 प्रतिशत तक वोट मिले हैं। पार्टी समझती है कि जैसे-जैसे आम आदमी पार्टी का ग्राफ दिल्ली में आने वाले वर्षों में और गिरेगा तो इससे आम आदमी पार्टी से जुड़ा वोटर सीधे तौर पर कांग्रेस से जुड़ेगा।