Edited By Updated: 23 Feb, 2017 11:53 AM
जिला कांग्रेस शहरी की प्रधानगी को लेकर पनपा विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजिन्द्र बेरी व दलजीत आहलूवालिया दोनों ही प्रधानगी को लेकर दावे जता रहे हैं। इससे जिले में कांग्रेस एक बार फिर से गुटों में बिखरी दिखाई दे रही है। बेरी ने दावा किया...
जालंधर(चोपड़ा): जिला कांग्रेस शहरी की प्रधानगी को लेकर पनपा विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजिन्द्र बेरी व दलजीत आहलूवालिया दोनों ही प्रधानगी को लेकर दावे जता रहे हैं। इससे जिले में कांग्रेस एक बार फिर से गुटों में बिखरी दिखाई दे रही है। बेरी ने दावा किया था कि वह 22 फरवरी को कांग्रेस भवन जाएंगे, कार्यकर्ताओं संग मीटिंग करेंगे और प्रधान की कुर्सी को संभालेंगे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित विपक्षी दलों के नेताओं में भी बेरी के दावे को लेकर उत्सुकता दिखाई दे रही थी। पर आहलूवालिया तो अपने दल-बल के साथ कांग्रेस भवन में डेरा जमाए रहे परंतु बेरी ने कांग्रेस कार्यालय आने से गुरेज ही किया। बेरी का कहना था कि वह कांग्रेस भवन गए थे और वहां 15-20 मिनट रुके। उन्होंने कहा कि वह तो रोजाना कांग्रेस भवन जा रहे हैं।
बेरी का कहना है कि उनकी चुनावों में व्यस्तता के चलते आहलूवालिया को केवल 4 फरवरी तक प्रधान बनाया गया था और मतदान होने के उपरांत वही असल प्रधान हैं, इस पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी भी अपनी मोहर लगा चुकी हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस प्रधान कै. अमरेन्द्र सिंह के ओ.एस.डी. व प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के इंचार्ज कै. संदीप संधू क्लीयर कर चुके हैं कि चुनावों के दौरान नियुक्त किए प्रधान 11 मार्च तक काम करते रहेंगे। आहलूवालिया ने पत्रकारों को बताया कि उन्हें जो नियुक्ति पत्र मिला है उसमें पार्टी ने उन्हें आगामी आदेशों तक कार्यभार संभालने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि बेरी हाईकमान से आदेश ले आएं वह कांग्रेस कार्यालय का चार्ज उन्हें सौंप देंगे। वह तो रोजाना की भांति कार्यालय बैठकर वर्करों से मिल रहे हैं और उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं।
राष्ट्रीय हाईकमान व प्रदेश कांग्रेस में फंसा पेंच
जिला कांग्रेस शहरी की प्रधानगी को लेकर राष्ट्रीय हाईकमान व प्रदेश कांग्रेस में पेंच फंस गया लगता है क्योंकि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आशा कुमारी जोकि पूर्व प्रधानों का समर्थन कर रही हैं, वहीं प्रदेश कांग्रेस के कार्यालय सचिव कै. संदीप संधू चुनावों के दौरान नियुक्त किए नेताओं के हक में बयानबाजी कर रहे हैं। दोनों नेताओं की चिर-विरोधी बयानबाजी के कारण आम कार्यकर्ताओं में संशय की स्थिति पैदा हो गई है कि वह प्रदेश प्रभारी की बात मानें या प्रदेश कांग्रेस की। उल्लेखनीय है कि पार्टी ने चुनावों के दौरान 8 कार्यवाहक जिला प्रधानों की नियुक्ति के आदेश जारी किए थे। अगर आशा कुमारी की मानी जाए तो केवल जालंधर में ही नहीं अपितु अन्य शहरों में भी प्रधानगी की लड़ाई जोर पकड़ सकती है।
बेरी-आहलूवालिया विवाद पर सीनियर नेताओं ने साधी चुप्पी
प्रधानगी के मामले में जिला से संबंधित सभी वरिष्ठ नेताओं ने अपनी चुप्पी साध ली है। कोई भी नेता इस पचड़े में पडऩे को तैयार नहीं है। जिस प्रकार से पिछले दिनों से बेरी व आहलूवालिया का विवाद सुॢखयों में बना हुआ है और कांग्रेस की जग-हंसाई हो रही है, एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 11 मार्च को विधानसभा चुनावों के नतीजे आने हैं जिससे कांग्रेस की स्थिति स्पष्ट होगी कि वह सत्ता पर काबिज होगी या नहीं।
उक्त नेता ने कहा कि आशा कुमारी चाहे कुछ भी बयानबाजी करती रहे अगर कांग्रेस को बहुमत हासिल होता है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कै. अमरेन्द्र सिंह ने ही बैठना है तो वह कै. अमरेन्द्र द्वारा नियुक्त प्रधानों का किस प्रकार विरोध करें।