Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Dec, 2017 07:43 AM
2014 में लोकसभा चुनावों में भाजपा का देशभर में प्रदर्शन लाजवाब रहा, जिसके बाद भाजपा ने लगातार महाराष्ट्र, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश का चुनाव जीता, लेकिन पंजाब में भाजपा के बेहद निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर अब कई प्रकार की...
जालंधर(पाहवा): 2014 में लोकसभा चुनावों में भाजपा का देशभर में प्रदर्शन लाजवाब रहा, जिसके बाद भाजपा ने लगातार महाराष्ट्र, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश का चुनाव जीता, लेकिन पंजाब में भाजपा के बेहद निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर अब कई प्रकार की चर्चाएं आरंभ हो गई हैं। लोकसभा चुनावों में भी पंजाब में भाजपा की हालत खस्ता रही। उसके बाद पंजाब में विधानसभा चुनाव, फिर अमृतसर व गुरदासपुर उप चुनाव और अब निकाय चुनावों में भी भाजपा की हालत खस्ता रही।
पंजाब में लोकसभा चुनावों में भाजपा केवल होशियारपुर तथा गुरदासपुर सीट ही जीत सकी। दिलचस्प है कि गुरदासपुर सीट पर विनोद खन्ना के निधन के बाद हुए उप चुनाव में भाजपा की बुरी दुर्गत हुई। स्व. विनोद खन्ना ने जो सीट 1.36 लाख के करीब मतों से जीती थी, भाजपा वही सीट उप चुनाव में 1.93 लाख मतों से हार गई। भाजपा ने यही परम्परा कायम रखी और पंजाब की तीनों नगर निगमों में कांग्रेस के हाथ दे दिए। भाजपा की बुरी हालत के लिए कहीं न कहीं भाजपा के आला नेता ही जिम्मेदार हैं। भाजपा नेताओं ने पार्टी की हालत सुधारने की कोशिश ही नहीं की। पार्टी ने गुरदासपुर चुनाव हारने के बाद पार्टी में कोई संगठनात्मक बदलाव करने की अपेक्षा उसी टीम को आगे निकाय चुनावों की कमान दे दी गई, इसका खमियाजा पहले की तरह ही पंजाब भाजपा ने भुगता।
पंजाब में मौजूदा संगठनात्मक टीम के तहत लगातार जो भी चुनाव हुए उसमें हार ही मिली, लेकिन इसके बाद भी केंद्रीय हाईकमान ने कोई बदलाव नहीं किया। इसके चलते पंजाब में पार्टी की हालत लगातार खराब हो रही है। देश में इस समय कांग्रेस की चार राज्यों में सरकार है जिसमें एक पंजाब भी है। कांग्रेस ने पंजाब में बड़े स्तर पर कमबैक किया, लेकिन भाजपा को इससे कोई सबक नहीं मिल रहा है। हिमाचल से लेकर अन्य राज्यों से कांग्रेस को खदेडऩे के लिए जहां केंद्र में बैठे भाजपा के नेता जोर लगा रहे हैं वहीं पंजाब भाजपा पूरी तरह से उनकी कोशिशों पर पानी फेर रही है। भाजपा का केंद्रीय हाईकमान कांग्रेस मुक्त भारत का अभियान चला रहा है लेकिन यह पंजाब भाजपा ही है जो इस अभियान को सफल होने में लगातार अड़ंगा डाल रही है।अगर निकाय चुनावों को स्थानीय मसलों के साथ जोड़ कर ही देखा जाए तो हाल ही में उत्तर प्रदेश में निकाय चुानवों में भाजपा को भारी सफलता मिली, जबकि पंजाब में निकाय चुनावों में भाजपा कोई सफलता हासिल नहीं कर सकी।