Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Oct, 2017 03:11 PM
नगर निगम चुनावों से पहले ही कांग्रेस में घमासान मच गया है। वार्डबंदी के दौरान जहां अकाली दल व भाजपा के नेताओं के पर काटने के लिए कांग्रेसी नेताओं ने अपने तरीके से वार्डबंदी की, वहीं कई विधायकों ने तो अपने चहेतों की वार्डबंदी के साथ भी जमकर छेड़छाड़...
जालंधर(रविंदर शर्मा): नगर निगम चुनावों से पहले ही कांग्रेस में घमासान मच गया है। वार्डबंदी के दौरान जहां अकाली दल व भाजपा के नेताओं के पर काटने के लिए कांग्रेसी नेताओं ने अपने तरीके से वार्डबंदी की, वहीं कई विधायकों ने तो अपने चहेतों की वार्डबंदी के साथ भी जमकर छेड़छाड़ की है ताकि वह दोबारा चुनाव जीतने के बाद उनके हलके में पावरफुल न हो सकें। खुद की पावर हावी रहे, इसके लिए सभी विधायकों ने अपने-अपने हलके में खूब ‘पावर गेम’ खेली।
विधायकों की इसी पावर गेम का शिकार हुए अधिकांश कांग्रेसी नेताओं में खासा आक्रोश पाया जा रहा है। खुद की राजनीति बचाने के लिए अब इन नेताओं की चंडीगढ़ सी.एम. आफिस में दौड़ लग रही है। वहां पहुंच कर वह दोबारा से वार्डबंदी करने की गुहार लगा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जालंधर में 2014 में हुए नगर निगम चुनावों में 60 वार्डों पर चुनाव हुए थे मगर कांग्रेस सरकार ने इस बार जालंधर के वार्डों की संख्या 60 से बढ़ाकर 80 कर दी है। इन वार्डों को एडजस्ट करने के चक्कर में दोबारा से वार्डबंदी की गई। वार्डबंदी की हद तय करने के साथ-साथ किस वार्ड को महिला रिजर्व व किसे दलित कोटे से रिजर्व रखना है, इसका फैसला भी काफी हद तक इलाका विधायकों के पास ही था। बस यहीं विधायकों ने अपनी मनमर्जी की और खुद की पावर गेम को दिखाया।
कोई भी विधायक नहीं चाहता था कि उसके हलके से लगातार पार्षद का चुनाव जीत कर कोई मजबूत बने और अगली बार विधायक का कैंडीडेट बन सके। डर के पीछे कारण भी साफ था कि राजेंद्र बेरी, सुशील रिंकू व बावा हैनरी पहली बार तो परगट सिंह दूसरी बार विधायक बने हैं। ऐसे में कोई भी विधायक नहीं चाहता था कि 2022 में उनकी जड़ों को काटने वाला कोई आगे आए। बस इसी खेल में कई दिग्गज नेता अपना खेल गंवा चुके हैं। कई पार्षदों के इलाकों को महिला वार्ड में तबदील कर दिया गया तो कई के वार्ड को रिजर्व कर दिया गया। ऐसे में हर किसी का खेल बिगड़ गया है। यहां तक कि मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर की दौड़ में चल रहे कई नेताओं पर कुठाराघात हो गया। न केवल इनके वार्ड की हदबंदी से बड़ी छेड़छाड़ की गई बल्कि अनेकों के वार्ड को महिला रिजर्व कर दिया गया। पार्टी में ही चल रही इस पावरगेम का आने वाले दिनों में कांग्रेस को नुक्सान भी उठाना पड़ सकता है। भविष्य में अब चाहे कुछ भी हो, मगर फिलहाल शहर के चारों हलकों में अपने ही विधायकों के खिलाफ पार्षदों में रोष पनप रहा है और हर कोई अपनी हदबंदी व रिजर्वेशन को तोडऩे के प्रयास में जुट गया है।