Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Nov, 2017 11:16 AM
स्वास्थ्य विभाग तथा गुरु नानक देव अस्पताल के अधिकतर डाक्टर ब्रांडिड दवाइयां बनाने वाली प्राइवेट कंपनियों पर मेहरबान हैं। उनके द्वारा अपनी जेबें गरम करने के लिए सरकारी दवाइयां होने के बावजूद मरीजों का खून चूसते हुए ब्रांडिड दवाइयां लिखी जा रही हैं।...
अमृतसर(दलजीत): स्वास्थ्य विभाग तथा गुरु नानक देव अस्पताल के अधिकतर डाक्टर ब्रांडिड दवाइयां बनाने वाली प्राइवेट कंपनियों पर मेहरबान हैं। उनके द्वारा अपनी जेबें गरम करने के लिए सरकारी दवाइयां होने के बावजूद मरीजों का खून चूसते हुए ब्रांडिड दवाइयां लिखी जा रही हैं। ड्डजानकारी अनुसार स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों तथा मैडीकल शिक्षा तथा खोज विभाग के अधीन चलने वाले गुरु नानक देव अस्पताल में रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं।
इनमें से सैंकड़ों मरीज ऐसे जरूरतमंद होते हैं जिनके पास पैसे न होने के कारण वे मुफ्त दवाई तथा इलाज की सुविधा की उम्मीद लेकर सरकारी अस्पतालों में आते हैं, जहां मुफ्त दवाई उपलब्ध होने के बावजूद डाक्टर धड़ल्ले से ब्रांडिड दवाइयां लिख रहे हैं। विभिन्न अस्पतालों की ओ.पी.डी. में पंजाब केसरी की टीम ने जब आज दौरा किया तो देखा कि सैंकड़ों मरीजों को ब्रांडिड दवाइयां पर्ची पर लिखी गई थीं। कंपनियों के एम.आर. डाक्टरों के पास बैठकर अपनी दवाइयां लिखवा रहे थे।
सरकार के आदेशों को नहीं मानते डाक्टर
पंजाब सरकार ने सरकारी अस्पतालों में तैनात डाक्टरों को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि मरीजों को कोई भी सरकारी दवाई उपलब्ध होने के बावजूद बाहर से न लिखी जाए। अगर दवाई सरकारी स्टॉक में न हो तो जैनरिक दवाई लिखकर साल्ट का विवरण सरकारी पर्ची पर दिया जाए, परन्तु इस आदेश के बावजूद डाक्टर धड़ल्ले से ब्रांडिड कंपनियों की दवाएं लिख रहे हैं। डाक्टरों के इस कार्य से मरीजों का जमकर शोषण हो रहा है।
कंपनियों की गाडिय़ों में घूमते हैं डाक्टर
सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले कुछ डाक्टर प्राइवेट कंपनियों की गाडिय़ों में घूमते हैं। जब तक सरकारी डाक्टर प्राइवेट कंपनी की ब्रांडिड दवाइयां लिखते रहते हैं, तब तक कंपनियां भी हर माह डाक्टर द्वारा ली गई गाड़ी की किस्तें चुकाते रहते हैं। जब डाक्टर दवा लिखनी बंद कर देता है तो उक्त कंपनियां भी किस्त नहीं चुकातीं। यदि डाक्टर को अन्य कंपनी अधिक कमीशन देती है तो वे पहले वाली कंपनी से नाता तोड़ कर नई कंपनी से तालमेल कर लेते हैं।
कंपनियां करवाती हैं विदेशों की सैर
सरकारी डाक्टर यदि कंपनी की ब्रांडिड दवाइयां लिखते हैं तो विभिन्न कंपनियां भी इसके बदले डाक्टरों को या तो मोटा पैसा देती हैं या विदेशों की सैर करवाती हैं। स्वास्थ्य विभाग तथा मैडीकल शिक्षा तथा खोज विभाग इस गंभीर मुद्दे संबंधी पता होने के बावजूद कुंभकर्णी नींद सोए हुए हैं।