Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Sep, 2017 07:46 AM
आर.टी.ए. दफ्तर (डी.टी.ओ. कार्यालय) के अंदर हाल ही में एक फैंसी नंबर पी.बी. 08 ए.एफ. 0024 जिसे 2001 में नकोदर निवासी सुखदेव सिंह की फोर्ड आईकॉन गाड़ी को अलाट किया गया था और बाद में 2009 में इसी नंबर को केन्द्रीय मंत्री........
जालंधर (अमित): आर.टी.ए. दफ्तर (डी.टी.ओ. कार्यालय) के अंदर हाल ही में एक फैंसी नंबर पी.बी. 08 ए.एफ. 0024 जिसे 2001 में नकोदर निवासी सुखदेव सिंह की फोर्ड आईकॉन गाड़ी को अलाट किया गया था और बाद में 2009 में इसी नंबर को केन्द्रीय मंत्री विजय सांपला की इनोवा गाड़ी को अलाट किए जाने की बात की जा रही है। यह मामला सामने आने के बाद दिन-प्रतिदिन पेचीदा होता जा रहा है क्योंकि पंजाब केसरी टीम द्वारा आर.टी.ए. दफ्तर में सोमवार को की गई फील्ड पड़ताल में एक बेहद चौंकाने वाली बात सामने आई जिसमें पता चला है कि डी.टी.ओ. कार्यालय में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों में ही विजय सांपला के नाम पर कोई रिकार्ड उपलब्ध ही नहीं है।
ऑफलाइन रिकार्ड जो कि दफ्तर में उक्त सीरीज का एक रजिस्टर है, में भी केवल सुखदेव सिंह का ही जिक्र है और अगर इस नंबर को लेकर वाहन और सारथी साफ्टवेर में चैक किया जाता है तो भी केवल सुखदेव सिंह का ही नाम सामने आता है। पूरे डी.टी.ओ. दफ्तर में कहीं भी विजय सांपला के नाम पर कोई एंट्री दर्ज ही नहीं है।
ऐसे में यह तय करना बेहद मुश्किल है कि केन्द्रीय मंत्री को जारी की गई आर.सी. कैसे और किन दस्तावेजों के आधार पर बनी थी? इतना ही नहीं हाल ही में पुलिस के पास भेजी गई वैरीफिकेशन भी किन दस्तावेजों के आधार पर की गई है इसे लेकर भी संदेह पैदा होना स्वाभाविक है। इस पूरे घटनाक्रम में किसी बड़ी गड़बड़ी की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। इस बारे में जब केन्द्रीय मंत्री विजय सांपला से उनके फोन पर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया, जिससे उनका पक्ष प्राप्त नहीं हो सका।
बिना रिकार्ड के कैसे जारी हुई आर.सी.?
अगर डी.टी.ओ. दफ्तर में किसी वाहन का कोई रिकार्ड मौजूद ही नहीं है तो यह तय करना असंभव है कि किन दस्तावेजों के आधार पर उक्त वाहन की आर.सी. जारी की गई थी। इस मामले में भी अगर दफ्तर के अंदर कोई रिकार्ड नहीं मिलता है तो आर.सी. की सत्यता पर सवाल उठना लाजिमी है। इसलिए दूसरी बार जारी आर.सी. कई सवालों के घेरे में आ चुकी है क्योंकि अगर आर.सी. सही जारी हुई है तो फिर उसका रिकार्ड क्यों मौजूद नहीं है और अगर आर.सी. गलत है तो फिर उसकी झूठी वैरीफिकेशन रिपोर्ट कैसे दे दी गई।
7 साल बाद कैसे लगा पुराना फैंसी नंबर?
इस मामले में एक और बेहद हैरान करने वाली जो बात सामने आती है वह यह कि 2001 में फैंसी नंबर अलाट हुआ और 7 साल बाद वही नंबर कैसे किसी अन्य व्यक्ति और अलग गाड़ी को अलाट हो सकता है। यहां बताने लायक है कि 0024 नंबर फैंसी नंबरों की श्रेणी में आता है और इसके लिए बाकायदा तौर पर बोली देनी अनिवार्य होती है। डी.टी.ओ. दफ्तर में आम तौर पर एक साल में चार सीरीज के फैंसी नंबरों की नीलामी बड़ी आसानी से हो जाती है और अगर कोई नंबर किसी कारण से नहीं बिकता है तो बाद में उसे सरकारी न्यूनतम राशि देकर खरीदा जा सकता है। अब सोचने वाली बात है कि 7 साल के बाद कैसे पुराना फैंसी नंबर दोबारा से बोली के लिए रखा गया और विभाग की तरफ से इतनी बड़ी चूक कैसे हो सकती है।
गलत नंबर वाली गाड़ी लेकर संसद में जाना, सुरक्षा में बड़ा छेद
देश की सर्वोच्च सुरक्षा वाले स्थानों में से एक संसद भवन जहां सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता और अंदर आने-जाने वाले हर व्यक्ति का गहन जांच-पड़ताल के बाद ही अंदर प्रवेश करने का पास बनता है। इतना ही नहीं सुरक्षा पड़ताल के लिए विजीटर्स की निजी और उनके वाहनों तक की ऑनलाइन जांच मौके पर ही करने का प्रावधान है। ऐसे में केन्द्रीय मंत्री के गलत नंबर वाली गाड़ी को अंदर लेकर जाने से सुरक्षा व्यवस्था की भारी चूक सामने आती है क्योंकि इतनी बार गाड़ी अंदर जाने पर एक बार भी सुरक्षा एजैंसियों द्वारा ऑनलाइन रिकार्ड को नहीं जांचा गया।
रिकार्ड ढूंढा जाएगा, न मिलने पर दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई : आर.टी.ए.
सैक्रेटरी आर.टी.ए. दरबारा सिंह से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला बेहद गंभीर है क्योंकि बिना दस्तावेजों के कोई आर.सी. जारी नहीं हो सकती। और अगर दफ्तर में कोई दस्तावेज या रिकार्ड मौजूद नहीं है तो यह बेहद ङ्क्षचताजनक है। उन्होंने कहा कि सांपला के दस्तावेज और गाड़ी के रिकार्ड को ढूंढा जाएगा और अगर कोई रिकार्ड नहीं मिलता है तो तत्कालीन कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।
डी.टी.ओ. कार्यालय ने मानी गलती, कहा-हुआ कसूर, बन गई 2 आर.सी.
केन्द्रीय मंत्री विजय सांपला की गाड़ी को किसी अन्य व्यक्ति की गाड़ी का नंबर लगाकर आर.सी. जारी करने के मामले में डी.टी.ओ. कार्यालय ने अपनी गलती मान ली है। इस बारे में जानकारी देते हुए डी.सी. वरिंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि उनके पास लिखित में आया था कि डी.टी.ओ. दफ्तर की तरफ से गलती से एक ही नंबर वाली 2 आर.सी. जारी हो गई थीं क्योंकि आर.सी. का काम सुविधा में शिफ्ट हुआ था और विभाग के पास रिकार्ड को लेकर पूरी जानकारी नहीं थी, जिस वजह से उक्त गलती हुई थी। डी.सी. ने कहा कि क्योंकि पुलिस के पास पहले ही मामले की जांच चल रही है, इसलिए उन्होंने डी.टी.ओ. दफ्तर वाली रिपोर्ट कमिश्नर पुलिस के पास भेज दी है।
इतने साल तक अवैध रूप से चली सांपला की गाड़ी?
जिस प्रकार से केन्द्रीय मंत्री सांपला की इनोवा गाड़ी पर किसी अन्य गाड़ी को 7 साल पहले जारी नंबर लगा होने का मामला सामने आया है, उसे देखते हुए यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इतने सालों तक सांपला की गाड़ी अवैध रूप से ही बिना सही आर.सी. के सड़कों पर दौड़ रही थी क्योंकि चाहे उनके पास विभाग द्वारा जारी आर.सी. है, मगर फिर भी जिस नंबर पर गाड़ी चलाई जा रही थी कानूनन उसका मालिक कोई अन्य व्यक्ति है।
भाजपा और केन्द्र सरकार की हो रही किरकिरी
इस पूरे मामले में चाहे केन्द्रीय मंत्री का निजी तौर पर कोई कसूर सामने न भी आए, मगर फिर भी जिस प्रकार से गाड़ी पर गलत नंबर लगाकर इतने सालों तक घूमने की बात सामने आ रही है, उसकी वजह से पूरे प्रदेश में भाजपा और केन्द्र सरकार की काफी किरकिरी हो रही है क्योंकि इतने बड़े नेता की गाड़ी पर गलत नंबर लगा होने की बात सामने आने से सरकार की साख को भी गहरा धक्का लग रहा है।
किसी दुर्घटना में नहीं मिल सकता इंश्योरैंस क्लेम
फैंसी नं 0024 को लेकर सामने आए तथ्यों के आधार पर यह कहना भी सही होगा कि नियमानुसार और कानूनन विजय सांपला की गाड़ी पर लगे हुए नंबर पर हुई इंश्योरैंस पालिसी के भी कोई मायने नहीं रह जाते और किसी किस्म की दुर्घटना वाले मामले में इस गाड़ी के ऊपर इंश्योरैंस क्लेम तक नहीं मिल सकता।