Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Nov, 2017 08:42 AM
अतिक्रमणकारियों के चालान डालकर रोजाना के हिसाब से जुर्माना लगाने बारे कोर्ट के आदेशों पर अमल न होने के मुद्दे पर मोनीटरिंग कमेटी की मीटिंग में जमकर हंगामा हुआ।
लुधियाना (हितेश): अतिक्रमणकारियों के चालान डालकर रोजाना के हिसाब से जुर्माना लगाने बारे कोर्ट के आदेशों पर अमल न होने के मुद्दे पर मोनीटरिंग कमेटी की मीटिंग में जमकर हंगामा हुआ। इसके तहत मुलाजिम व मैंबर पहले एक-दूसरे के खिलाफ जमीन पर बैठ गए और फिर दोनों पक्षों ने बारी-बारी मीटिंग से वॉकआऊट कर दिया।
जानकारी के मुताबिक मैंबर कर्णदीप कैरों ने मुद्दा उठाया कि जगराओं पुल से शुरू होकर फिरोजपुर रोड नहर तक सड़क के दोनों तरफ स्थित सॢवस लेन की जगह पर वर्कशाप वालों ने कब्जा जमाया हुआ है। जिस पर तहबाजारी शाखा के स्टाफ ने रोजाना कार्रवाई करने का दावा किया तो एक और कमेटी मैंबर रोहित सभ्रवाल ने मुद्दा उठाया कि एक तो तहबाजारी शाखा के स्टाफ द्वारा अतिक्रमणों पर पुख्ता कार्रवाई नहीं की जाती। ऊपर से हटाने के बाद दोबारा कब्जा करने वालों पर रोजाना के हिसाब से 500 रुपए जुर्माना लगाने बारे कोर्ट द्वारा 2009 में जारी आदेशों पर भी अमल नहीं किया जा रहा।
इस मुद्दे पर कमेटी के 3 मैंबर जमीन पर बैठ गए। जिन्होंने रोष जताया कि कोर्ट के आदेशों पर बनी मोनीटरिंग कमेटी की मीटिंग में मुद्दे उठाए जाने के बावजूद अवैध कब्जों व अतिक्रमणकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। इन मैंबरों को ज्वाइंट कमिश्नर सतवंत सिंह ने बड़ी मुश्किल से कुॢसयों पर बैठकर मीटिंग करने के लिए राजी किया। जहां सभ्रवाल ने आरोप लगाया कि तहबाजारी शाखा के स्टाफ की अतिक्रमणकारियों के साथ मिलीभगत होने के कारण वो कार्रवाई करने की जगह कब्जों को संरक्षण देने की एवज में महीने वसूलने के रूप में अपनी जेबें भर रहे हैं। इसका सुपरिंटैंडैंट जसदेव सेखों ने विरोध किया कि तहबाजारी शाखा स्टाफ की कमी के बावजूद रोजाना कब्जों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। इसके बावजूद उन पर आरोप लगाया जाना गलत है। इसे लेकर दोनों पक्षों में जमकर कहासुनी हुई।
सरकार व विजीलैंस को पहुंची शिकायत
सभ्रवाल ने बताया कि इस मामले में चीफ सैक्रेटरी, लोकल बॉडीज के पिं्रसीपल सैक्रेटरी, डायरैक्टर व सी.वी.ओ. के अलावा विजीलैंस के पास शिकायत की गई है।
इसमें आरोप लगाया गया है कि तहबाजारी शाखा द्वारा चालान काटने का आंकड़ा महानगर में हुए अतिक्रमणों के मुकाबले काफी कम है और वो संख्या भी पिछले साल के मुकाबले डाऊन आ गई है। ऐसे में चालान काटने व रोजाना जुर्माना लगाने से निगम को आने वाले करोड़ों का नुक्सान हो रहा है। इसी तरह सरकारी जगह पर कब्जा करने वालों पर पुलिस केस दर्ज करवाने संबंधी कोर्ट के आदेशों को लागू न करने का मुद्दा भी उठाया गया है। यह आलम उस समय है, जब 2012 व 2015 में सरकार व निगम द्वारा कोर्ट के 2009 में जारी आदेशों पर अमल के आदेश दिए हुए हैं। इसके बावजूद कोई असर न होने की सूरत में अवमानना याचिका लगाने की चेतावनी दी गई है।