ट्रक यूनियन में फिर विवाद:

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 03:53 PM

clash in truck union

भले ही कैप्टन सरकार ने ट्रक यूनियन के नाम पर चल रही सियासी दुकानों को बंद कर दिया है लेकिन भटिंडा में अभी भी ट्रक यूनियन को लेकर विवाद

भटिंडा(बलविंद्र): भले ही कैप्टन सरकार ने ट्रक यूनियन के नाम पर चल रही सियासी दुकानों को बंद कर दिया है लेकिन भटिंडा में अभी भी ट्रक यूनियन को लेकर विवाद चल रहा है। विवाद के दौरान ऑप्रेटरों की सहमति से 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया जिसमें प्रितपाल शर्मा, गुरदीप सिंह गीता, राज कुमार पुरी, कर्म चंद बांसल, जगराज सिंह कोटशमीर, दीपक कुमार व पवन कुमार शामिल हैं। 

उक्त कमेटी यूनियन के सारे फैसले लेगी। एक सदस्य ने कहा कि कमेटी के गठन के बावजूद सियासी डर बना हुआ है क्योंकि कांग्रेसी उन्हें धमकियां दे रहे हैं। इसे लेकर वे वित्तमंत्री के बाद ताकतवर कांग्रेसी से मिलने पहुंचे थे लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। इसलिए इस कमेटी के कायम रहने की उम्मीद कम है।  3 माह में ही कांग्रेसी सेवादार टी.डी.एस. के नाम पर यूनियन का लाखों रुपया डकार गए हैं, जबकि पहले अकाली सेवादार भी इन पदों पर रह चुके हैं। एक सदस्य ने बताया कि यूनियन को गेहूं की ढुलाई के 4 करोड़ रुपए आए थे जिसमें से 2 फीसदी टी.डी.एस. कटवाना होता है, परंतु कांग्रेसी सेवादार 5 फीसदी टी.डी.एस. कटवा गए। बहाना था कि कुछ पैसा विभागीय अधिकारियों को चढ़ाया जाएगा। फिर पता चला कि अधिकारियों को चढ़ावा पहुंचा ही नहीं। इसी प्रकार टी.डी.एस. के नाम पर खाद फैक्टरी के 18 लाख रुपए में से 24 फीसदी कटौती हुई जिसमें से बड़ा हिस्सा यूनियन के केस लडऩे वाले वकीलों को देना था। परंतु उक्त वकीलों को कोई फीस नहीं दी गई। 

यही नहीं एक नेता यूनियन की जीप ही ले गया जिसके बदले उसने 2.50 लाख रुपए देने थे लेकिन वह भी नहीं दिए। जग जाहिर है कि ट्रक यूनियनें आप्रेटरों के लिए कारोबार हैं जबकि सियासी लोगों के लिए यह कमाई का साधन हैं जहां वे अक्सर कब्जे कर लेते हैं। पिछले 10 सालों तक इन पर अकालियों का कब्जा रहा। जैसे ही सरकार बदली वैसे ही अकालियों ने अपने पद छोड़ दिए तो वह पद कांग्रेसियों ने संभाल लिए। भटिंडा में अभी तक कांग्रेस की सीधी शमूलियत ट्रक यूनियन में दिखाई नहीं दी जबकि अकाली दल का यूनियन पर पूर्ण कब्जा रहा। इस कारण ट्रक आप्रेटर न होने के बावजूद अकाली नेता इसकी कुर्सी पर बिराजमान रहे। अब जब कैप्टन सरकार ने ट्रक यूनियन भंग करने का ऐलान कर दिया तो यूनियन के साथ संबंधित कांग्रेसी खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगे तथा आप्रेटर हावी हो गए। इसके तहत कुछ दिनों से यूनियन में गर्मा-गर्मी चल रही है। इसी दौरान आज दोनों पक्ष आमने-सामने हो गए व पुलिस को दखल देना पड़ा।
 
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
थाना सिविल लाइन के प्रभारी कुलदीप सिंह भुल्लर ने बताया कि स्थिति तनावपूर्ण होने के कारण पुलिस पार्टी मौके पर पहुंची थी। उन्होंने दोनों पक्षों को समझाया व विवाद को रोका। उन्होंने ऑप्रेटरों को बैठकर मसला सुलझाने की हिदायतें दी हैं। 

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