नगर कौंसिल के सदस्यों की आपसी फूट के चलते नगर परिषद वैंटीलेटर पर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Sep, 2017 11:58 AM

city council on the municipal council ventilator

नगर परिषद के सदस्यों की आपसी फूट व गुटबाजी के कारण परिषद् वैंटीलेटर पर आ गई है जबकि राज्य सरकार भी इसके प्रति गंभीर दिखाई नहीं दे रही।

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): नगर परिषद के सदस्यों की आपसी फूट व गुटबाजी के कारण परिषद् वैंटीलेटर पर आ गई है जबकि राज्य सरकार भी इसके प्रति गंभीर दिखाई नहीं दे रही।

भारत सरकार ने 1992 में संविधान में 74वां संशोधन कर स्थानीय संस्थाओं को 18 कार्य करने की जिम्मेदारी सौंपी थी जैसे कि टाऊन प्लानिंग स्कीमों को बनाना, आर्थिक तथा सामाजिक विकास की योजनाएं, सड़कें व पुल, रिहायशी, औद्योगिक तथा व्यापारिक उद्देश्य के लिए पीने वाले पानी की सप्लाई, सीवरेज व्यवस्था, वाटर स्टार्म(सेम नाले), सोलिड वेस्ट मैनेजमैंट, स्लम बस्तियों में सुधार करना, फायर सर्विसिज, शहर को हरा-भरा रखने के लिए पेड़ आदि लगाना, पुस्तकालय व बच्चों के लिए खेल मैदान, श्मशानघाट/बिजली वाले श्मशानघाट बनाने की योजनाएं, कैटल पान्ड्ज, जन्म व मृत्यु के सर्टीफिकेट जारी करना, जनहित सुविधाओं के लिए स्ट्रीट लाइटों, पार्किंग, बस स्टॉप व शौचालय बनाना, स्लाटर हाऊस, सड़कों तथा इमारतों का रिकार्ड रखने के अतिरिक्त मकानों पर नंबर प्लेट लगाने की सुविधाएं देना आदि हैं।

परन्तु मौजूदा हालातों में कौंसिल सदस्यों की आपसी लड़ाई से संपूर्ण कार्य ठप्प हो कर रह गए हैं तथा नगर सेवक शहर में रहना पसंद नहीं करते जबकि कुछ गोवा व कुछ मनाली की सैर कर रहे हैं। नगर परिषद के अधिकारी यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि अधिकतर कार्य तो उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं हैं। जैसे वाटर सप्लाई व सीवरेज व्यवस्था जन स्वास्थ्य विभाग, सड़कों का कार्य लोक निर्माण विभाग व मंडी बोर्ड के पास है। शहर का स्लाटर हाऊस तथा पुस्तकालय बंद पड़ा है।

निकासी नाले बंद कर किए अवैध कब्जे  
स्वच्छ भारत के सफाई सर्वे के अनुसार मुक्तसर को पहले ही गंदे शहर होने का पुरस्कार मिल चुका है। लोगों द्वारा बरसात के पानी की निकासी वाले नाले बंद कर अवैध कब्जे किए गए हैं। जिसके चलते बारिश के दिनों में गांधी चौक में 2-2 फुट पानी जमा हो जाता है। बरसात के कारण सड़कों पर स्थान-स्थान पर गड्ढे बन गए हैं तथा बरसात के दिनों में यह गड्ढे छप्पड़ का रूप धारण कर लेते हैं। शहर में आवारा पशु घूमते आम ही देखे जा सकते हैं। नगर कौंसिल की आर्थिक हालत बहुत ही नाजुक है। 

बिना नक्शा पास करवाए बनाई जा रहीं मार्कीटें  
एक हजार वर्ग गज से अधिक की व्यापारिक इमारतों के नक्शे जोकि चीफ टाऊन प्लानर चंडीगढ़ को पास करने होते हैं, को छोटे-छोटे टुकड़ों में लोकल स्तर पर ही पास किया जा रहा है। रिहायशी क्षेत्रों व तंग गलियों में बिना नक्शा पास करवाए मार्कीटें बनाई जा रही हैं। शहर की 6 हजार स्ट्रीट लाइटों में से 40 प्रतिशत गायब हैं या बंद पड़ी हैं, जिसकी जिम्मेदारी ठेकेदार को सौंपी गई है। विज्ञापन का कार्य भी ठेके पर है। भुगतान न होने के कारण विकास के कार्य बंद पड़े हैं तथा मटीरियल व मलबे के ढेर गलियों में ही पड़े होने के कारण लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 

90 प्रतिशत लोग नहीं भरते प्रापर्टी टैक्स 
कौंसिल में 185 कर्मचारी हैं जिनका वार्षिक वेतन लगभग 16-17 करोड़ रुपए बनता है। किसी भी व्यापारी के पास ट्रेड लाइसैंस नहीं है जबकि 90 प्रतिशत लोग प्रापर्टी टैक्स ही नहीं भरते जिस कारण परिषद को प्रत्येक वर्ष लगभग 10 करोड़ रुपए का चूना लगता है। परिषद के पास न तो किसी की प्रापर्टी का रिकार्ड है और न ही किसी भी सड़क की जमीनी चौड़ाई का रिकार्ड है जिस कारण लोग बेखौफ होकर सड़कों पर अवैध कब्जे कर रहे हैं। वर्ष 2015 में भारत सरकार ने मुक्तसर को अमरूट शहर का दर्जा दिया था। यदि नगर कौंसिल के हाऊस के सभी सदस्य पूरी ईमानदारी के  साथ एकजुट होकर अमरूट प्रोजैक्ट की रिपोर्ट तैयार कर कार्य करें तो वर्ष 2018 में शहर की तस्वीर कुछ और होगी।

नैशनल कंज्यूमर अवेयरनैस ग्रुप के जिलाध्यक्ष शाम लाल गोयल, महासचिव गुरिन्दरजीत सिंह बराड़, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बलदेव सिंह बेदी, सचिव सुदर्शन कुमार सिडाना व संगठन सचिव गोबिन्द सिंह दाबड़ा ने पंजाब सरकार से मांग की है कि मौजूदा हालातों को देखते हुए कमेटी को भंग कर निगम बनाया जाए। 

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