खूबसूरती खो चुके इस बस अड्डे से आमदनी 82 लाख, सुविधाएं शून्य

Edited By Updated: 22 May, 2017 10:18 AM

city council kotakpura

किसी समय कोटकपूरा और इसके आसपास के इलाकों में अपनी आधुनिक पहचान और सुंदरता के कारण प्रसिद्ध कोटकपूरा का बस अड्डा आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। किसी समय इस बस अड्डे में बढिय़ा इमारत के अलावा सवारियों के बैठने के लिए अच्छा प्रबंध था।

कोटकपूरा (नरिन्द्र) : किसी समय कोटकपूरा और इसके आसपास के इलाकों में अपनी आधुनिक पहचान और सुंदरता के कारण प्रसिद्ध कोटकपूरा का बस अड्डा आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। किसी समय इस बस अड्डे में बढिय़ा इमारत के अलावा सवारियों के बैठने के लिए अच्छा प्रबंध था। इस बस अड्डे में पेयजल और साफ-सुथरे शौचालयों का उचित प्रबंध था परंतु अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। आज चालक, कंडक्टर, बस ऑप्रेटर और मुसाफिर हर कोई इन सुविधाओं के अभाव में बुरी तरह परेशान है। बस अड्डे की खस्ता हालत से प्रतीत होता है कि नगर कौंसिल के अधिकारियों ने इसे पूरी तरह भुला दिया है।

काऊंटर पर नहीं लगती बसें
बस अड्डे में अलग-अलग शहरों को आने-जाने के लिए बसों के अलग-अलग काऊंटर बनाए गए हैं परंतु ज्यादातर बसें इन काऊंटरों पर न लगने के कारण यह काऊंटर बेमानी साबित हो रहे हैं। यहां सवारियों की सुविधा के लिए बिजली, पंखों का कोई इंतजाम न होने और बसों के आने-जाने की समय सारिणी न लगी होने के कारण सवारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।इस बस स्टैंड से पंजाब के अलग-अलग बड़े-छोटे शहरों और गांवों के लिए भारी संख्या में बसें आती-जाती हैं परंतु ज्यादातर बसें काऊंटर पर लगने की बजाय बस स्टैंड के मुख्य गेट समक्ष खड़ी होती हैं।

नगर कौंसिल की आमदन का अच्छा जरिया
शहर का एकमात्र यह बस अड्डा 17 जनवरी, 1985 को बनाया गया था जिसका उद्घाटन उस समय के गवर्नर के.टी. सतारवाला की तरफ से किया गया था। इस बस अड्डे से मुद्दकी, नत्थूवाला, रोड़ीकपुरा, भलूर, पंजग्राईं, घणीएवाला, सिवीयां, बरगाड़ी, भगता व अन्य कई गांवों-कस्बों के लिए मिनी बसों के अलावा श्री मुक्तसर साहिब, अबोहर, श्रीगंगानगर, फरीदकोट, फिरोजपुर, श्री अमृतसर साहिब, भटिंडा, श्री दमदमा साहिब, संगरूर, पटियाला, दिल्ली, अम्बाला, जैपुर, हनुमानगढ़, मोगा, लुधियाना, चण्डीगढ़ समेत पंजाब के प्रमुख शहर को सैंकड़ों सरकारी और निजी कम्पनी की बसें रोजाना अप-डाऊन करती हैं। बड़ी संख्या में बसों के आने-जाने के कारण इकट्ठी होती अड्डा फीस और यहां बनी दुकानों और साइकिल स्टैंड आदि को ठेके पर देने के कारण नगर कौंसिल को यहां से अच्छी आमदन (करीब 82 लाख) होती है परंतु सुविधाएं जीरो हैं।

क्या कहते हैं कौंसिल अधिकारी
इस संबंध में नगर कौंसिल कोटकपूरा के कार्यसाधक अफसर गुरइन्दर प्रीत सिंह ढिल्लों ने माना कि कोटकपूरा का बस अड्डा नगर कौंसिल की कमाई का एक बढिय़ा साधन है। उन्होंने कहा कि बस स्टैंड की सफाई के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। यहां पंखे लगाने की मंजूरी भी दे दी गई है। इमारत की खस्ता हालत बारे उन्होंने कहा कि वह स्वयं जाकर सारी स्थिति का जायजा लेंगे और जरूरत अनुसार समूची इमारत की मुरम्मत का काम जल्द शुरू करवाया जाएगा।

खस्ता हालत इमारत
बस अड्डे के वजूद में आने के बाद इसके रख-रखाव की ओर कोई ध्यान नहीं देने के कारण इसकी इमारत बेहद खस्ता हो चुकी है। इस इमारत के आसपास के कई हिस्से गिर चुके हैं और छतों से सीमैंट गिरने के कारण सरिया बाहर आ चुक ा है। इमारत में अलग-अलग स्थानों पर लगे शीशे ज्यादातर टूट चुके हैं। अपनी खस्ता हालत कारण यह बस अड्डा यहां आने वाली सवारियों और अन्य लोगों के लिए किसी समय भी खतरनाक हो सकता है।

सफाई की दयनीय हालत
सफाई पक्ष से भी बस अड्डे की हालत काफी दयनीय है और यहां बने शौचालय गंदगी से अटे पड़े हैं। बस स्टैंड के अंदर बने रिक्शा स्टैंड वाली तरफ कूड़ा फैंकने के लिए खुला डम्प बनाया गया है। खुले में पड़े कूड़े के कारण मक्खियों-मच्छरों की भरमार है। यह लावारिस पशुओं की पसंदीदा जगह बन चुकी है। बस अड्डे के अंदर फिरते यह पशु और अन्य जानवर लोगों के लिए मुसीबत बन सकते हैं।त

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