Edited By Updated: 17 Jan, 2017 09:31 AM
सर्दियों का मौसम शुरू होते ही पतंगबाजी का शौक रखने वाले लोग अपने पसंदीदा धागे की डोर बनाने वाले अड्डों पर इस बात को लेकर
जालंधर/अमृतसर: सर्दियों का मौसम शुरू होते ही पतंगबाजी का शौक रखने वाले लोग अपने पसंदीदा धागे की डोर बनाने वाले अड्डों पर इस बात को लेकर सम्पर्क करना शुरू कर देते थे कि उनकी डोर पहले लगाई जाए और धागे की डोर बनाने वाले अड्डों पर रश होने के कारण लोग सारा-सारा दिन खड़े होकर अपनी डोर लगवाते थे, मगर केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित चाइना डोर जहां शहर में धड़ल्ले से बिक रही है, वहीं पर चाइना डोर ने पतंगबाजी की कला को भी खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पंजाब केसरी टीम ने महानगर में धागे की डोर बनाने वाले अड्डों का दौरा किया और देखा कि अड्डे के मालिक चाइना डोर के आगे बेबस दिखाई दिए। धागे की डोर बनाने वाले मालिकों का कहना है कि शहर में धागे की डोर बनाने वाले 7 डोर के अड्डे हुआ करते थे, जिनमें बेरीबेट किशन का अड्डा शहीदा साहिब के पास महिन्द्र सिंह पूर्ण सिंह, घी-मंडी में दीप सिंह का अड्डा मुख्य थे। दीप सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार ने चाइना डोर पर पूर्णतया रोक लगा दी है और इसे प्रतिबंधित करार देते हुए निर्देश लागू किए हैं कि इस चाइना डोर को बेचने वाले व इस डोर से पतंगबाजी करने वाले दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी परन्तु सरकार के निर्णय के विरुद्ध महानगर में धडल्ले से चाइना डोर की ब्लैक में बिक्री हो रही है।
देसी डोर व चाइना डोर में क्या है अंतर
धागे की डोर बनाने वाले अड्डे के मालिक दीप सिंह ने बताया कि धागे की डोर बनाते वक्त पतंग को काटने के लिए मैदे में कांच डाला जाता हैं परन्तु चाइना डोर नाइलोन के धागे से तैयार की जाती है, जो तोडऩे से भी नहीं टूटती और पतंग उड़ाने वाले लोगों की जब पतंग काट जाती है तो वह डोर को वापस नहीं खींचते इसे तोड़ कर छोड़ देते हैं और इस डोर की चपेट में आने से राहगीर अपनी जान तक गंवा चुके हैं, वाहन चालक जब तक अपनी दोपहिया वाहन को रोकते हैं तो तब तक नाइलोन से बनी चाइना डोर वाहन चालक की नसें तक काट देती है।