CCTV लगाने की मुहिम प्राइवेट स्कूलों तक ही सीमित

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Oct, 2017 11:44 PM

cctv the imposing campaign is limited to private schools

प्रद्युमन मर्डर केस के बाद जिला प्रशासन ने सी.सी.टी.वी. कैमरों को अनिवार्य तौर पर स्कूलों में लगवाने को लेकर एक मुहिम शुरू कर दी जोकि प्राइवेट स्कूलों तक ही सीमित रही सरकारी स्कूलों में सी.सी.टी.वी. कैमरे हैं या नहीं और अगर नहीं हैं तो उन्हें लगवाने...

पटियाला(प्रतिभा): प्रद्युमन मर्डर केस के बाद जिला प्रशासन ने सी.सी.टी.वी. कैमरों को अनिवार्य तौर पर स्कूलों में लगवाने को लेकर एक मुहिम शुरू कर दी जोकि प्राइवेट स्कूलों तक ही सीमित रही। 

सरकारी स्कूलों में सी.सी.टी.वी. कैमरे हैं या नहीं और अगर नहीं हैं तो उन्हें लगवाने के लिए क्या हो रहा है, इसे लेकर शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन की ओर से कुछ नहीं किया जा रहा है। इसमें प्रमुख तौर पर बात की जाए साधु बेला रोड स्थित सरकार के मैरिटोरियस स्कूल की, जहां सुरक्षा को लेकर कुछ गार्ड जरूर हैं पर सी.सी.टी.वी. कैमरा नहीं है। ऐसे में चाहे कहने को तो गार्ड सुरक्षा कर रहे हैं लेकिन किसी भी तरह की संदेहपूर्ण स्थिति के लिए सी.सी.टी.वी. जरूरी हैं। 

गौरतलब है कि प्राइवेट स्कूलों में सी.सी.टी.वी. कैमरा लगवाए जाने की पूरी जानकारी और हालातों का जिला प्रशासन के चाइल्ड वैल्फेयर डिपार्टमैंट द्वारा जायजा लिया जा रहा है। अलग-अलग स्कूलों में जाकर डिपार्टमैंट की टीम इस बात को पक्का कर रही है कि स्कूलों में सी.सी.टी.वी. कैमरे हों। पर यह नियम सिर्फ प्राइवेट स्कूलों तक ही सीमित कर दिया गया है और जिले के बड़े सरकारी स्कूलों में कोई सी.सी.टी.वी. नहीं लगवाए गए। ऐसे में इन स्कूलों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

अहम स्कूल है मैरिटोरियस 
मैरिटोरियस स्कूल को शुरू हुए दो साल ही हुए हैं और यहां 800 के करीब स्टूडैंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल कैंपस में ही लड़कियों का होस्टल है जबकि लड़कों का होस्टल भी अर्बन एस्टेट फेज-2 में पुडा दफ्तर वाली सड़क पर बना हुआ है। न तो लड़कों के होस्टल में कोई सी.सी.टी.वी. है और न ही लड़कियों के होस्टल के बाहर। स्कूल के मेन गेट पर दो से तीन गार्ड बैठते हैं, लेकिन वहां भी सी.सी.टी.वी. नहीं है। इसके अलावा लड़कियों का होस्टल जोकि बिल्कुल साथ ही है वहां का गेट भी अलग है। छुट्टी होने पर सभी लड़के मेन गेट से निकलकर सड़क पार करते हुए अपने होस्टल की तरफ जाते हैं। इसके अलावा इस सड़क को सैंसिटिव माना जाता है। क्योंकि इस सड़क पर कई बार स्नैचिंग की घटनाएं हो चुकी हैं। 

शिक्षा विभाग द्वारा भी कोई कदम नहीं उठाया गया
वहीं जिला शिक्षा विभाग द्वारा भी सी.सी.टी.वी. को लेकर इतने समय में कोई कदम नहीं उठाया गया है जबकि सी.सी.टी.वी. सभी स्कूलों में अनिवार्य किए गए हैं। हालांकि ज्यादातर ऐसे मामलों में शिक्षा विभाग फंड न होने की दुहाई देता है क्योंकि सरकारी स्कूलों में अभी तक बच्चों को सर्दियों की यूनिफॉर्म और शूज आदि भी नहीं मिले हैं। यहां तक कि पिछले 2-3 साल में ही बच्चों को यूनिफॉर्म सही समय पर नहीं मिल रही तो ऐसे में सी.सी.टी.वी. लग पाएंगे, इस पर सवाल ही बने रह जाते हैं।

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