Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jun, 2017 11:33 AM
देश भर के मैडीकल कॉलेज में दाखिला पाने के लिए सी.बी.एस.ई. की ओर से ली गई नीट परीक्षा का रिजल्ट घोषित कर दिया गया जिसमें
जालंधर (भारती): देश भर के मैडीकल कॉलेज में दाखिला पाने के लिए सी.बी.एस.ई. की ओर से ली गई नीट परीक्षा का रिजल्ट घोषित कर दिया गया जिसमें महानगर के रचित सागर ने ऑल इंडिया में 57वां रैंक हासिल कर सिटी में पहला, रागिनी शर्मा ने ऑल इंडिया रैंक 144वां लेकर दूसरा, ऑल इंडिया रैंक 303वां के साथ भवनूर सिंह ने तीसरा और रिधिमा ने ऑल इंडिया रैंक 656वां लेकर सिटी में चौथा स्थान हासिल किया है। सी.बी.एस.ई. नीट परीक्षा का आयोजन देश भर में 7 मई को 1921 परीक्षा केंद्रों पर किया गया था जिसमें करीब 11 लाख 38 हजार 890 उम्मीदवारों ने भाग लिया था। देश भर में एम.बी.बी.एस. के लिए 65,170 सीटें और बी.डी.एस. के लिए 25,730 सीटें हैं। नीट एग्जाम में पास होने वाले स्टूडैंट्स के लिए दाखिला और काऊंसलिंग प्रक्रिया 3 जुलाई से शुरु होगी जोकि 16 अगस्त तक चलेगी।
मौलाना आजाद मैडीकल कॉलेज में एडमिशन लेना चाहता है रचित
मैं रोजाना 6 से 7 घंटे पढ़ाई करता था। इसके अलावा मैंने एग्जाम की तैयारी के लिए मोबाइल फोन का प्रयोग करना बंद कर दिया था, ताकि पढ़ाई पर फोकस कर सकूं। रचित के पिता डा. राजेश सागर और मम्मी डा. अनु भी मैडीकल प्रोफैशन में हैं। रचित ने एम्स की परीक्षा में भी 749वां रैंक लेकर महानगर में दूसरा स्थान हासिल किया था। रचित को पढ़ाई के अलावा लॉन टैनिस खेलने और नॉवल पढऩे का शौक है। राफेल नडाल उसके फेवरेट टैनिस प्लेयर हैं। रचित का लक्ष्य मौलाना आजाद मैडीकल कॉलेज में एडमिशन लेकर आर्थोपेडिक सर्जन बनने का है।
स्किन स्पैशलिस्ट बनना चाहती है रागिनी
जब मैं पेपर देकर घर आई तो इतना तो पता था कि अच्छे नंबर आएंगे। मेरे पापा डा. रवि शर्मा और मम्मी गार्गी शर्मा दोनों ही डाक्टर हैं तो पहले से ही सोच लिया था कि डाक्टर बनना है। ऑल इंडिया में 144 रैंक हासिल करने की खुशी तो है। बचपन से ही मुझे पिंपल और स्किन से जुड़ी समस्याएं रहती थीं इसलिए बार-बार स्किन स्पैशलिस्ट के पास जाना पड़ता था, तभी मैंने सोच लिया कि मैं भी स्किन स्पैशलिस्ट बनूंगी।
आई स्पैशलिस्ट बनने का है लक्ष्य : भवनूर
मुझे अंदाजा तो था कि अच्छे माक्र्स आएंगे। पेपर काफी अच्छा हुआ था। रोजाना 6-7 घंटे पढ़ाई करता था। मम्मी-पापा दोनों ही डाक्टर हैं। पहले मैं पायलट बनना चाहता था, लेकिन 10वीं के बाद सोच लिया था कि डाक्टर बनना है। सिटी में तीसरा स्थान स्थान हासिल करने वाले भवनूर दिल्ली के सफदरजंग कालेज में दाखिला लेकर आई स्पैशलिस्ट बनना चाहते हैं।
‘रोजाना 5-6 घंटे की पढ़़ाई’
मैंने बचपन से ही सोच लिया था कि मुझे बड़े होकर डाक्टर बनना है। हमारी फैमली में सब लोग डाक्टर हैं। मम्मी डा. कविता मित्तल और पापा डा. सुधीर मित्तल ने भी पढ़ाई में काफी सपोर्ट किया। रोजाना 5-6 घंटे पढ़ाई करती थी ताकि अपने लक्ष्य को पा सकूं। बायोलॉजी में इंट्रैस्ट था तो इसलिए भी डाक्टर बनना था। मैं 2 साल से इसकी तैयारी कर रही थी। मोबाइल फोन भी बंद कर दिया ताकि पढ़ाई प्रभावित ना हो। रिधिमा को कैसियो बजाना और म्यूजिक सुनना काफी पसंद है, लेकिन पढ़ाई के लिए उसने कैसियो बजाना भी बंद कर दिया था।