Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Oct, 2017 03:31 PM
नोटबंदी के बाद अब सरकार ने डिजीटल इंडिया के तहत डाक टिकटों की छपाई पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं सभी डाकघर
अबोहर(भारद्वाज, रहेजा): नोटबंदी के बाद अब सरकार ने डिजीटल इंडिया के तहत डाक टिकटों की छपाई पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं सभी डाकघर प्रभारियों को पत्र भेजकर डाक टिकटों का स्टॉक खत्म होने तथा लोगों को कैशलैस इंडिया के बारे में प्रेरित करने के निर्देश दिए जा चुके हैं जिससे त्यौहारी सीजन में लिखित शुभकामना संदेश भेजने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्य डाकघर में अब केवल 25 पैसे वाले टिकट ही उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग आमतौर पर लघु समाचार पत्र प्रेषित करने के लिए किया जाता है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि पिछले काफी दिनों से डाक टिकटों की आपूर्ति बंद करते हुए निर्देश दिए गए हैं कि आने वाले दिनों में टिकटों की आपूॢत बंद हो जाएगी क्योंकि केन्द्र सरकार ने डाक टिकट छापने से किनारा कर लिया है। डाकघरों के प्रभारियों से कहा गया है कि थोक में डाक भेजने वालों को कैशलैस प्रणाली से जोड़ते हुए नकद राशि जमा कराने की नीति अपनाई जाए। इस ज्वलंत मुद्दे को लेकर केन्द्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री को एक ज्ञापन भेजते हुए लेखक परिषद के प्रधान राज सदोष ने कहा है कि शुभकामना पत्र भेजने के लिए 25 पैसे वाले 20 टिकट चिपकाने पड़ते हैं। जिससे लिफाफे पर पता लिखने की जगह नहीं बचती जबकि नए नियम के अनुसार लिफाफे के पीछे टिकटें लगाना मना है।
डाकघरों में पिछले कई महीनों से छोटी राशि की टिकटें बेची जा रही हैं। इधर राष्ट्रीय पर्यावरण आयोग ने कागज तैयार करने के लिए की जा रही वृक्षों की कटाई पर चिंता जताते हुए इस पर अंकुश लगाने की सलाह दी है। दूसरी ओर बड़ी राशि वाले टिकट न उपलब्ध करवाकर केन्द्र सरकार कागज की बर्बादी करने पर तुली हुई है। ज्ञापन में सदोष ने लिखा है कि इस नीति से विशेष रूप से ग्रामीण व छोटे शहरी उपभोक्ता प्रभावित होंगे जो अब भी इंटरनैट इस्तेमाल करने की स्थिति में नहीं हैं। जिस देश में सरकारी तौर पर यह स्वीकार किया गया हो कि वहां की 33 प्रतिशत आबादी अभी तक अशिक्षित है वहां अचानक डाक टिकटों की सुविधा बंद करना जन विरोधी कदम माना जाएगा।