Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 10:29 AM
अपराधियों से जब्त किए गए वाहन पुलिस के लिए सिरदर्दी बन चुके हैं। जब्त वाहनों की देख-रेख के लिए पर्याप्त इंतजाम न होने के कारण ये सभी वाहन कबाड़ बन चुके हैं। नीलामी की कानूनी प्रक्रिया लम्बी होने के कारण इस कबाड़ का पुलिस के पास भी कोई हल नजर नहीं...
जालंधर(पंजाब केसरी टीम): अपराधियों से जब्त किए गए वाहन पुलिस के लिए सिरदर्दी बन चुके हैं। जब्त वाहनों की देख-रेख के लिए पर्याप्त इंतजाम न होने के कारण ये सभी वाहन कबाड़ बन चुके हैं। नीलामी की कानूनी प्रक्रिया लम्बी होने के कारण इस कबाड़ का पुलिस के पास भी कोई हल नजर नहीं आता। दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे कबाड़ के कारण थानों में बैठने की जगह कम पड़ती जा रही है। हालात ऐसे हैं कि जब्त वाहनों को रखने के लिए थाना पुलिस द्वारा थानों के बाहर सड़कों और फुटपाथ पर कबाड़ हो चुकी केस प्रॉपर्टी रखी जा रही है।
थाना मकसूदां की केस प्रॉपर्टी सड़क पर बिखरी नजर आ रही है। विभिन्न केसों में जब्त वाहनों की संभाल पुलिस के लिए खासी परेशानी का सबब बनी हुई है। यह समस्या सिर्फ एक थाना पुलिस की नहीं बल्कि हरेक थाने की है। कुछ साल पहले अकाली-भाजपा सरकार ने पुलिस की सुविधा के लिए थानों को नई इमारतें दीं। नई इमारतों में केसों में जब्त वाहन रखने की जगह भी बनाई। इसके बावजूद आज भी यह समस्या लगातार बनी हुई है। जालंधर देहात के अंतर्गत आते थाना मकसूदां के हालात देखे जाएं तो वहां तैनात पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों पर तरस आता है, क्योंकि उनके पास ही बैठने, रैस्ट करने का पर्याप्त इंतजाम नहीं है तो वह जब्त वाहनों को कहां संभालेंगे। थाना मकसूदां का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। मालखाने से निकल कर जब्त सामान वहां बने एक पार्क के बाद अब फुटपाथ और सड़क पर आ चुका है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि आस-पास के लोग भी इस गंदगी के कारण परेशान हो चुके हैं।
मकसूदां थाना के दयनीय हालात
वैसे तो थाना मकसूदां का एरिया जालंधर देहात के एरिया में आता है, लेकिन थाने के लिए जगह न होने के कारण जालंधर देहात का मकसूदां कमिश्नरेट की हद में बना हुआ है। अंग्रेजों के जमाने की खंडहरनुमा इमारत में कर्मचारी डर के साए में जी रहे हैं। देखने से ही लगता है कि इमारत कभी भी गिर सकती है। थाने में विभिन्न केसों में जब्त वाहन थाने के बाहर बने पार्क तथा आसपास फुटपाथ पर रखे गए हैं। हालात ऐसे हैं कि जब्त वाहन पूरी तरह से कबाड़ बन चुके हैं। किसी वाहन के टायर गायब हैं और किसी वाहन की सीट। किसी वाहन के इंजन के पुर्जे गायब हैं और किसी वाहन का स्टेयरिंग। खासकर थाना मकसूदां में लोगों से जब्त वाहनों के रख-रखाव का इंतजाम नहीं है। देखने में आया कि जब्त वाहन एक-दूसरे वाहन के ऊपर रखकर जगह बनाई गई है।
केस प्रॉपर्टी से सामान गायब होना भी है अपराध
पुलिस द्वारा अपराधियों से जिस प्रकार वाहन इत्यादि जब्त किए जाते हैं, उन्हें समय-समय पर अदालत में दिखाना पड़ता है। नियम है कि वाहन जिस हालत में जब्त हुआ हो उसी हालत में दिखाना होता है, लेकिन मौजूदा हालात बिल्कुल विपरीत हैं। मौजूदा हालात में व्हीकल को तो मालिक तक नहीं पहचान सकता। कानूनविदों के मुताबिक जब्त व्हीकल के सामान की देख-रेख की जिम्मेदारी भी पुलिस की ही होती है। अगर जब्त व्हीकल से सामान चोरी होता है तो इस संबंधी थाना स्तर पर मुंशी और एस.एच.ओ. की जिम्मेदारी फिक्स हो सकती है।
आसपास के दुकानदार व लोग परेशान
बताने योग्य है कि थाना मकसूदां रिहायशी क्षेत्र और दुकानों के बीचोंबीच है। थाना मकसूदां पुलिस द्वारा लगातार जब्त वाहन अब थाने के बाहर रखे जाते हैं। जब्त वाहनों के कारण गंदगी का आलम हो चुका है। जब्त वाहनों में जड़ी-बूटियां उग गई हैं तथा जानवर हर समय वहां घूमते रहते हैं। आसपास के लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि थाना मकसूदां उनके लिए परेशानी ही है। आमतौर पर पुलिस नजदीक होने के कारण सुरक्षा रहती है, लेकिन उन्हें गंदगी में जीना पड़ रहा है। पुलिस होने के कारण वह कुछ नहीं कह सकते।